रूस का राष्ट्रपति बने रहने को पुतिन बदल रहे संविधान
इस बदलाव पर मुहर लगने के बाद पुतिन दो बार और राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने में सक्षम हो जाएंगे। बृहस्तिवार को इस प्रस्ताव पर वोटिंग शुरू होने के साथ ही रूस की राजनीति में आने वाले इस बेहद अहम संभावित बदलाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
khidki desk
साल 2024 में अपना मौजूदा कार्यकाल खत्म कर रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस के संविधान में एक बड़े बदलाव की तैयारी में हैं। इस बदलाव पर मुहर लगने के बाद पुतिन दो बार और राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने में सक्षम हो जाएंगे।
बृहस्तिवार को इस प्रस्ताव पर वोटिंग शुरू होने के साथ ही रूस की राजनीति में आने वाले इस बेहद अहम संभावित बदलाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है। अगर रूस के लोगों ने इस बदलाव के पक्ष में मतदान किया तो यह लगभग तय हो जाएगा कि आने वाले डेढ़ दशक तक पुतिन ही रूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे।

इस प्रस्तावित संविधान संशोधन की घोषणा इस साल जनवरी में की गई थी और मार्च में रूस की संसद ड्यूमा ने इन बदलावों का समर्थन किया था। प्रस्ताव पर वोटिंग 22 अप्रैल को ही शुरू होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया था।
देश के राजनीतिक तंत्र में हो रहे इन अहम बदलावों को ध्यान में रखते हुए मैं इस बात को जरूरी मानता हूं कि प्रस्तावित संविधान संशोधन पर लोग वोट करें, ताकि इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जा सके।
-व्लादिमीर पुतिन
इस संविधान संशोधन पर चल रही वोटिंग को रूस और बहुत हद तक दुनिया की राजनीति के लिए भी बहुत अहम माना जा रहा है। जानकार मान रहे हैं कि इसके जरिए पुतिन सन्देश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अगले डेढ़ दशक तक वे ही रूस की जरूरत हैं। जनमत संग्रह का नतीजा उनके पक्ष में होने का मतलब होगा कि रूस के लोग भी यही चाहते हैं। ख़ुद पुतिन ने भी कुछ दिन पहले राष्ट्र के नाम संबोधन में कुछ ऐसी ही बात बोली थी।
साल 2018 में भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में आए पुतिन के इस कदम को रूस की राजनीति में अपना कद निर्णायक रूप से बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। जानकार ध्यान दिलाते हैं कि पुतिन शुरुआत से ही मीडिया और अपने विरोधियों को काबू में करने के लिए जाने जाते हैं।
रूस में अतीत में प्रांतीय सरकारों और साल 2012 में चुनाव सुधार के लिए हुए विरोध-प्रदर्शनों को उन्होंने जिस तरह से काबू में उसका उदाहरण बार-बार दिया जाता है। जाहिर है कि अगर ये संविधान संशोधन हकीकत बनता है तो पुतिन रूस की राजनीति में हर लिहाज से सबसे ज्यादा ताकतवर शख्सियत बन जाएंगे।
पुतिन नाजुक मौकों पर पश्चिमी देशों के साथ भी बहुत चतुराई से पेश आते रहे हैं और रूस में इस चलते उनका एक बड़ा समर्थक तबका है। विदेशी मामलों भी जहां भी पश्चिमी देश बंटे नजर आते हैं, वहां पुतिन किसी चालाक शासक की तरह रूस की नुमांइदगी सुनिश्चित कर देते हैं। अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर वे साल 2036 तक रूस के राष्ट्रपति रहते हैं तो इसका विश्व राजनीति पर निर्णायक असर पड़ेगा।