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'धार्मिक आज़ादी के मामले में भारत को करें ब्लैक लिस्ट' : अमेरिकी आयोग

रिपोर्ट में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के कार्यकाल में साल 2019 में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं और उसने इस मामले में भारत को 'विशेष चिंता वाले' 14 देशों की सूची में डालने की सिफारिश की है।

-Khidi Desk




अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग यानी USCIRF ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि भारत को उन देशों के साथ ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए जो धार्मिक आज़ादी के मामले में लगातार नीचे जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के कार्यकाल में साल 2019 में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं और उसने इस मामले में भारत को 'विशेष चिंता वाले' 14 देशों की सूची में डालने की सिफारिश की है। यह रिपोर्ट जारी करते हुए आयोग की वाइस-चेयर नेडिन मेनेज़ा ने कहा: साल 2019 में बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार ने अपने मजबूत संसदीय बहुमत का उपयोग राष्ट्र स्तर पर ऐसी नीतियों को लागू करने के लिए किया जो देश भर में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है, विशेष रूप से असम में। भारत ने इस साल नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू किया, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और गैर-मुस्लिम प्रवासियों को जल्द भारतीय नागरिकता देने का रास्ता साफ करता है। इसने बहुत से धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने बेघर हो जाने जैसी स्थिति खड़ी कर दी। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा स्थापित यह आयोग स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग को सिफ़ारिश देता है। आयोग ने कहा कि अगर भारत अपना रिकॉर्ड नहीं सुधारता तो अमेरिकी सरकार को दंडस्वरूप उन भारतीय अधिकारियों के वीजा पर पाबंदी लगा देनी चाहिए जो नफ़रत से भरे बयान देते हैं। हालांकि भारत सरकार ने आयोग की रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए कहा कि उसकी ग़लत बयानी अब नए स्तरों पर पहुंच गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ट्वीट कर कहा,

'हम USCIRF की वार्षिक रिपोर्ट में भारत के खिलाफ टिप्पणियों को खारिज करते हैं. भारत के खिलाफ उसके ये पूर्वाग्रह वाले और पक्षपातपूर्ण बयान नए नहीं हैं, लेकिन इस मौके पर उसकी गलत बयानी नये स्तर पर पहुंच गई है.'

गौर करने वाली बात है कि भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक को संयुक्त राष्ट्र भी बुनियादी रूप से विभाजनकारी कह चुका है। इधर कोरोना महामारी से निपटने के दौरान भी भारत सरकार पर इस महामारी को समुदाय विशेष से जोड़कर देखने के आरोप लग रहे हैं।

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