'हॉंगकॉंग पर दख़लअंदाज़ी ना करे ब्रिटेन'
चीन ने ब्रिटेन को सख़्त हिदायत दी है कि वह औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आए और चीन के मामलों में दख़लअंदाज़ी बंद करे.
- Khidki Desk

हॉंग कॉंग को लेकर चीन के नए क़ानून पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपने एक आलेख के ज़रिए जो बातें कही हैं उस पर चीन ने कड़ा एतराज़ जताया है. चीन ने ब्रिटेन को सख़्त हिदायत दी है कि वह औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आए और चीन के मामलों में दख़लअंदाज़ी बंद करे.
एक प्रेस ब्रीफ़ के दौरान चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने कहा कहा -
''युनाइटेड किंग्डम को हमारी सलाह है कि वह अपनी कोल्ड वॉर मन:स्थिति और औपनिवेशिक मानसिकता से अपने क़दम वापस खींचे और इस तथ्य को माने और उसका सम्मान करे कि हॉंगकॉंग चीन को लौटाया जा चुका है. उसे हॉंग कॉंग और चीन के आंतरिक मामलों में दख़ल देना तुरंत बंद कर देना चाहिए वरना इस पर निश्चित तौर पर जवाबी कार्रवाई होगी.''
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिश जॉनसन ने एक अख़बार में बुधवार को एक लेख लिख कर हॉंगकॉंग के लिए चीन के नए क़ानून क़ानून की आलोचना की थी और कहा था कि इस क़ानून के पास हो जाने के बाद ब्रिटेन के पास हॉंगकॉंग के नागरिकों के लिए अपने मौजूदा अप्रवासन क़ानूनों में बदलाव करने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है.
बताया जा रहा है कि ब्रिटेन इस बदलाव के तहत ब्रिटिश ओवरसीज नेशनल पासपोर्ट रखने वाले हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को युनाइटेड किंगडम में 12 महीने के लिए प्रवेश करने की अनुमति देगा. अभी यह समय सीमा छह महीने की है. इसके अलावा उनको आप्रवासन से जुड़े अन्य अधिकार भी दिए जाएंगे. इसमें युनाइटेड किंगडम में काम करने का अधिकार भी शामिल होगा, जिससे कि भविष्य में उनके लिए नागरिकता मिलने का रास्ता भी खुलेगा. इस समय हॉन्ग कॉन्ग के तकरीबन तीन लाख पचास हजार लोगों के पास ब्रिटिश ओवरसीज नेशनल पासपोर्ट है. प्रधानमंत्री जॉनसन ने लिखा है कि नई नीतियों के तहत भविष्य में 25 लाख नए लोग इस पासपोर्ट के लिए आवेदन कर पाएंगे.
हॉंग कॉंग डेढ़ सौ सालों तक ब्रिटेन का उपनिवेश रहा है. चीन और ब्रिटेन के बीच सिनो-ब्रिटिश जॉइंट डिक्लियरेशन के तहत 1997 में हॉंगकॉंग को ब्रिटेन ने चीन को वापस सौंपा था लेकिन इस डिक्लियरेशन में 'एक देश दो तंत्र' पर सहमति बनी थी जिसके तहत, हॉंगकॉंग में स्थानीय सरकार को चीन के दूसरे इलाक़ों की तुलना में उच्च स्तर की स्वायत्ता मिली थी. चीन जिस नए क़ानून को लेकर आया है उस पर आरोप लग रहे हैं कि वह हॉंगकॉंग की स्वायत्ता को ख़त्म कर देगा.