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नए कलेवर में बुद्ध!

बुद्ध बेचैन है सीमाओं पर कि सरकार राम मंदिर और 370 जैसा कुछ और बड़ा करे. मरते लोगों, असहायों की चीखों व लाचारगी फिर जन्म दे बुद्ध को. ऐसे ही लौटे रामराज और गांधी.

- पृथ्वी 'लक्ष्मी' राज सिंह



हमने कहा जाओ और उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. सदियों बाद परमाणु बम विस्फोट के सफेद धुए के आवरण में पोखरन में मुस्कुराये बुद्ध! तब हमने युद्ध का हथियार पैना किया.


बाद में उन्हें देश की सीमा से सटे म्यांमार में देखा जहाँ उन्होंने रोहिग्यों का नरसंहार कर दरबदर किया. फिर दिखे श्रीलंका में बुद्ध, वहाँ उन्होंने एक नया मोर्चा खड़ा किया.


देश में हमने घमासान दिया, श्मशान - कब्रिस्तान दिया, कि पूरा होगा तुम्हारा प्रयाश्चित और तुम लौटोगे एक दिन वापस अपने देश!


जब गांधी के मुंह से निकला था 'हे राम!' तब अहिंसा और स्वराज की धारणा को खत्म कर हमने बोये थे बीज रामराज के.


बुद्ध बेचैन है सीमाओं पर कि सरकार राम मंदिर और 370 जैसा कुछ और बड़ा करे. मरते लोगों, असहायों की चीखों व लाचारगी फिर जन्म दे बुद्ध को. ऐसे ही लौटे रामराज और गांधी.


हम पर ठप्पा है हमने निकाल फेंका बुद्ध को बाहर, हमने मारा गांधी को देश में और विश्व को दे दिया.


अब इनका फर्ज़ है कि लौटें देश में देखें पटेल का विराट स्वरुप, और समझें कि किसी देशी बोस ने नहीं ट्रम्प के अमेरिका ने दिया है हमारा नया बाप.


सुनो विश्व! भेज दो इन्हें वापस! जैसे हमने मौलाना मसूद को लौटाया था! पहली बार हमने देश को एनआरसी के तारबाड़ दी है! बहुत जगह है अब हमारे पास!


तुम्हें हमने दाऊद दिया था! देने को बहुत कुछ है हमारे पास हम तुम्हें माल्या देगें! नीरव मोदी देंगे और और हमारे मेहुल भाई भी!

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