स्विट्ज़रलैंड में 'बुर्क़ा बैन'
स्विट्ज़रलैंड में हुए एक जनमत संग्रह में बेहद बारीक़ अंतर के साथ, सार्वजनिक स्थानों में फ़ेस कवरिंग यानि चेहरे को ढके जाने पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में मतदान हुआ है. इस जनमत संग्रह का सबसे ज़्यादा असर मुसलमान समुदाय की महिलाओं पर होगा जो कि धार्मिक और सांस्कृतिक वजहों से चेहरे को ढकने के लिए हिज़ाब और नक़ाब पहनती हैं.
यूरोप समेत पश्चिम की, खुलेपन की पैरोकार और आधुनिक मानी जाने वाली दुनिया में लंबे समय से सार्वजनिक जगहों में चेहरे को ढके जाने पर प्रतिबंध को लेकर बहस चलती रही है. हालांकि यूरोपीय अति दक्षिण पंथी राजनीतिक समूह भी इसे मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपने अभियानों में इस्तेमाल करते आए हैं.
इसी सिलसिले में स्विट्ज़रलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से ठीक एक दिन पहले हुए एक जनमत संग्रह में सार्वजनिक स्थानों में फ़ेस कवरिंग यानि चेहरे को ढके जाने पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में मतदान हुआ है.
पक्ष और विपक्ष में पड़े मतों में बेहद बारीक़ फ़र्क रहा. आधिकारिक परिणामों के मुताबिक़ जहां इस रेफ़रेंडम में 51.2 प्रतिशत वोट, प्रतिबंध लगाने के पक्ष में पड़े, वहीं 48.8 प्रतिशत् लोगों ने इस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट डाला. कुल वोट प्रतिशत 50.8 प्रतिशत था.
हालांकि, दक्षिणपंथी दल Swiss People's Party (SVP) की ओर से लाए गए प्रस्ताव, “Yes to a ban on full facial coverings” में बुर्क़ा या हिज़ाब का ज़िक्र नहीं किया था लेकिन स्वाभाविक तौर पर मीडिया और लोगों के बीच इसे 'बुर्क़ा बैन' अभियान के तौर पर ही देखा गया है.
इस कैम्पेन के पक्ष में स्विट्ज़रलैंड में जगह-जगह लगाए गए पोस्टर्स में बुर्क़ा पहनी महिलाएं दर्शाई गई हैं और “Stop radical Islam!” और “Stop extremism! नारे लिखे गए हैं.
इधर, स्विट्ज़रलैंड के प्रमुख इस्लामिक समूह, सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ मुस्लिम्स ने एक बयान में इसे मुसलमानों के लिए एक काला दिन बताते हुए कहा है, ''आज के फ़ैसले ने सारे पुराने घावों को खोल दिया है, और क़ानूनी असमानता को विस्तार दिया है. साथ ही इसके ज़रिए अल्पसंख्यक मुसलमानों को अलग थलग करने का एक साफ़ संदेश देने की कोशिश की गई है.'' काउंसिल ने कहा है कि इस फ़ैसले को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने भी इस प्रतिबंध के ख़िलाफ़ तर्क देते हुए कहा है कि यह क़ाम सरकार को नहीं है कि वह महिलाओं को आदेश दे कि वह क्या पहनें और क्या नहीं.
हालांकि युनिवर्सिटी ऑफ़ ल्यूसर्न की एक रिसर्च के मुताबिक़ स्विट्ज़रलैंड में तक़रीबन कोई भी महिला बुर्क़ा नहीं पहनती है और महज़ कुछ ही महिलाएं हिज़ाब पहनती हैं. यहां की कुल आबादी में से महज़ 5 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है जो कि तुर्की, बोसिना और कोसोवो से मूल से यहां आई है.
पश्चिमी देशों में जहां एक ओर दक्षिणपंथियों की ओर से इस्लामिक चरमपंथ का हवाला देकर फ़ेस कवरिंग के ख़िलाफ़ तर्क दिए जाते रहे हैं वहीं प्रगतिशीलों का भी एक धड़ा है जो फ़ेस कवरिंग, और बॉडी कवरिंग को पितृसत्ता की ओर से महिलाओं पर थोपी गई एक बंदिश के तौर पर इसके ख़िलाफ़ तर्क देता है.