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कुवैत में 8 लाख भारतीय कामगारों पर संकट

कोरोनावायरस के बाद बने हालात के चलते कुवैत में एक नया विधेयक लाया गया है जिसमें कुवैत में दूसरे देशों से आकर काम कर रहे लोगों की तादात को कम किए जाने का प्रस्ताव है. अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो कुवैत में काम कर रहे भारत के तक़रीबन 8 लाख कामगारों को वापस भारत लौटना होगा.

- Khidki Desk

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कोरोनावायरस के चलते गिरते तेल के दामों का असर अब अरब देशो में दिखने लगा है, इसी सिलसिले में कुवैत अब अपने देश से प्रवासी श्रमिकों को वापस भेजने की तैयारी कर रहा है जिसमें सबसे बड़ी तादात भारतीय प्र​वासियों की होगी. कुवैत में काम कर रहे भारत के तक़रीबन 8 लाख कामगारों को वापस भारत लौटना होगा.


कोरोनावायरस के बाद बने हालात के चलते कुवैत में एक नया विधेयक लाया गया है जिसमें कुवैत में दूसरे देशों से आकर काम कर रहे लोगों की तादात को सीधे तौर पर कम किया जाने का प्रस्ताव है. इस विधेयक में कुवैत में वर्तमान में काम कर रहे प्रवासी कामगारों की कुल संख्या को चालीस प्रतिशत तक ले आने का प्रस्ताव है जबकि भारतीय कामगारों की संख्या को कुवैत की जनसँख्या के 15 % तक सीमित कर दिया जाएगा.


हालांकि अभी इस प्रस्तावित विधेयक को कुवैत की सरकार की ओर से मंजूरी मिलना बाक़ी है. सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजने से पहले संसद अक्टूबर में ख़त्म होने वाले सत्र में इस विधेयक को अंतिम रूप देगी.

वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक़ कुवौत में काम करने वाले भारतीयों ने 2017 में तक़रीबन 4.6 अरब डॉलर्स भारत भेजा था ​जो कि उस साल भारत को भेजे गए कुल धन का 6.7 प्रतिशत हिससा था. कुवैत में भारतीय प्रवासी कामगारों में सबसे अधिक तक़रीबन 70 फीसद संख्या केरल राज्य से है. अगर कुवैत सरकार इन कामगारों को वापस भेजती है तो केरल सरकार के लिए यह एक चुनौती साबित हो सकती है.

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