अभी तक देहरादून में 2098 और नैनीताल में 958 डेंगू के मरीज दर्ज़ किये किये गए हैं. राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राज्य में डेंगू की स्थिति और की जा रही कार्यवाही को लेकर जानकारी ली. राज्यपाल ने अधिक से अधिक निशुल्क जांच केंद्र स्थापित करने या निशुल्क जांच की व्यवस्था करने के निर्देश दिए.
- कमल जोशी

उत्तराखंड के दो ज़िले बुरी तरह से डेंगू और उसके ख़ौफ़ से जूझ रहे हैं. सूबे की अस्थाई राजधानी देहरादून और नैनीताल में डेंगू का प्रकोप इतना फ़ैल गया है कि लोग किसी भी तरह के बुख़ार और अन्य लक्षणों के लिए सीधे डेंगू की जांच करा रहे हैं. वजह भी ठोस हैं क्योंकि अब तक इस साल देहरादून में 2098 और नैनीताल में 958 डेंगू के मरीज दर्ज़ किये किये गए हैं.
डेंगू के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इन दो जनपदों में सरकार ने दो-दो अतिरिक्त अपर मुख्य चिकित्साधिकारियों की नियुक्ति की गई है. बुधवार को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राज्य में डेंगू की स्थिति और की जा रही कार्यवाही को लेकर जानकारी ली. राज्यपाल ने अधिक से अधिक निशुल्क जांच केंद्र स्थापित करने या निशुल्क जांच की व्यवस्था करने के निर्देश दिए.
स्वास्थ्य सचिव ने राज्यपाल को बताया कि इस वर्ष डेंगू रोग के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए जनपद देहरादून में तीन और जनपद नैनीताल में एक अतिरिक्त निशुल्क डेंगू जांच केंद्र खोला गया है. डेंगू के लार्वा को नष्ट करने के लिए डेंगू प्रभावित शहर हल्द्वानी, हरिद्वार, और उधमसिंह नगर में सरकार ने एहतियातन क़दम उठाये हैं और साथ ही साथ जागरूकता अभियान भी चलाये जा रहे हैं. लेकिन यह कोशिशें नाकाफ़ी साबित हो रही हैं.
इधर मीडिया को दिया मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का एक बयान काफी चर्चित है जिसमें उन्होंने इस गंभीर समस्या पर मज़ाकिया लहजे में विपक्ष पर डेंगू के मच्छर छोड़ने के आरोप लगाए थे. हालांकि उत्तराखंड में स्वास्थ का मंत्रालय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने ख़ुद अपने हाथ में रखा है.
एक खास बात ध्यान देने लायक है, दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार केजरीवाल की सरकार आने के बाद 2015 से दिल्ली में डेंगू के मरीजों की संख्या में 80% की कमी आयी है. और उत्तराखंड में डेंगू के मरीजों की संख्या में पिछले वर्षो की तुलना में बढ़ी है.
दिल्ली में डेंगू की इस संख्या को और कम करने के लिए, दिल्ली सरकार ने 10 सप्ताह के एक कार्यक्रम की शुरुआत की है. इसके तहत दिल्ली के निवासियों से आग्रह किया गया है कि वे हर रविवार को सुबह 10 बजे 10 मिनट निकालकर मच्छर पनपने के स्थानों की जाँच करें.