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जांच में निर्दोष डॉ. कफ़ील

डॉ. कफ़ील ख़ान बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक चाइल्ड केयर स्पेसियलिस्ट के बतौर तैनात थे. अगस्त 2017 में, अस्पताल में आॅक्सिजन की सप्लाई की कमी के चलते 10 और 11 अगस्त को 63 बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में डॉ. कफ़ील के ऊपर लापरवाही के आरोप लगाते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था.


अगस्त 2017 में, गोरखपुर के एक सरकारी अस्पताल में आॅक्सीजन के अभाव में महज 2 दिनों में 63 बच्चें की मौत के मामले में सस्पेंड और ग़िरफ्तार कर जेल भेजे गए डॉ. कफ़ील ख़ान को राज्य सरकार की एक जांच रिपोर्ट में उन पर लगाए गए सभी बड़े आरोपों में उन्हें निर्दोष बताया गया है. काफ़ी विवादित रहे इस मामले में डॉ. कफ़ील खान ने मांग की है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार उनके ख़िलाफ़ किए गए बरताव के लिए उनसे माफ़ी मांगे.


डॉ. कफ़ील ख़ान बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक चाइल्ड केयर स्पेसियलिस्ट के बतौर तैनात थे. अगस्त 2017 में, अस्पताल में आॅक्सिजन की सप्लाई की कमी के चलते 10 और 11 अगस्त को 63 बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में डॉ. कफ़ील के ऊपर आरोप लगाए थे.


इस मामले की जांच कर रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हिमांशु कुमार ने यह रिपोर्ट राज्य सरकार को अप्रैल 2019 में सौंपी थी.


इस दुर्घटना के बाद सरकारी अस्पताल में इस भयानक लापरवाही के ख़िलाफ लोगों में भयानक जनाक्रोश फ़ैला था. कुछ लोगों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करते हुए डॉ. कफ़ील को इस घटना का दोषी बताया था. उत्तरप्रदेश सरकार ने भी उन पर यह आरोप लगाते हुए उन्हें सस्पैंड कर​ दिया था कि वह हालातों को जानते हुए भी उन्होंने इससे निपटने के लिए आवश्यक क़दम नहीं उठाए और तत्काल कार्रवाई करने, या अपने सीनियर्स को जानकारी देने में वे नाकम रहे.


इस रिपोर्ट के आने के बाद डॉ. कफ़ील ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा है, ''क़ातिल डॉ. कफ़ील का टैग मुझ पर से हट गया है.''

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