चमकदार हो रहा है पृथ्वी का सबसे करीबी ब्लैकहोल
उन्होंने संभावना जताई है कि यह ब्लैकहोल अपने आकार के हिसाब से जल्दी बड़ा हो रहा है. फिलहाल में वैज्ञानिकों के पास ब्लैकहोल की रोशनी मापने के जो उपकरण हैं वो मुमकिन है कि पर्याप्त क्षमता के ना हों. इसकी वजह से वैज्ञानिकों को यह रोशनी असामान्य लग रही हो.

पृथ्वी के सबसे करीबी ब्लैकहोल के आसपास की चमक इस साल में दोगुनी बढ़ी है. वैज्ञानिक इसकी वजह इसका आकार बढ़ना बता रहे हैं. क्या इसके बढ़ते आकार से पृथ्वी को कोई खतरा हो सकता है?
10 अप्रैल 2019 को वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की एक तस्वीर जारी की थी. यह तस्वीर पृथ्वी के सबसे पास स्थित दो ब्लैकहोलों में से एक एम-87 की थी. इसके अलावा दूसरे ब्लैकहोल का नाम है सैजिटैरस A*. यह पृथ्वी से करीब 26,000 प्रकाश वर्ष दूर है. एक प्रकाश वर्ष का मतलब सूरज की रोशनी की गति से चलने पर एक साल में तय की गई दूरी होता है. प्रकाश की गति करीब तीन लाख किलोमीटर प्रति घंटा होती है. सैजिटैरस A* की खोज 24 साल पहले हुई थी. यह आकाशगंगा मंदाकिनी(Milky Way) के केंद्र में स्थित है. इसे एक शांत ब्लैकहोल माना जाता है. हाल ही में इस शांत ब्लैकहोल में असामान्य हलचल देखी गई. साथ ही इसके आसपास का इलाका पहले की तुलना में ज्यादा चमकदार दिख रहा था. इन परिवर्तनों का पृथ्वी या इस आकाशगंगा के किसी भी ग्रह पर असर नहीं पडे़गा.
वैज्ञानिकों ने इस असामान्य घटनाक्रम का कारण बताया है. एस्ट्रोफिजिकल जनरल लेटर्स में छपे एक शोध पत्र में लिखा गया है कि ब्लैकहोल सैजिटैरस A* पहले की तुलना में ज्यादा 'भूखा' हो गया है जिससे यह आसपास की चीजों को ज्यादा तेजी से अपने अंदर समाहित कर रहा है. इस प्रक्रिया को वैज्ञानिकों ने 'बिग फीस्ट' यानी बड़ा भोज नाम दिया है. एक ब्लैकहोल खुद से किसी भी तरह का प्रकाश नहीं निकालता है. लेकिन जो चीजें इसमें समाती जाती हैं वो इसके प्रकाश का स्रोत हो सकती हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पिछले साल इस ब्लैकहोल के करीब से गुजरे एसओ 2 नाम के एक तारे से निकली गैस अब ब्लैकहोल में पहुंची होगी. इसकी वजह से यह असामान्य रोशनी दिख रही है. एसओ 2 का आकार सूरज के आकार से करीब 10 गुना बड़ा है. यह सैजिटैरस के चारों ओर 16 साल में एक चक्कर पूरा करता है.
वैज्ञानिकों ने एक दूसरी वजह का भी अनुमान लगाया है. उन्होंने संभावना जताई है कि यह ब्लैकहोल अपने आकार के हिसाब से जल्दी बड़ा हो रहा है. फिलहाल में वैज्ञानिकों के पास ब्लैकहोल की रोशनी मापने के जो उपकरण हैं वो मुमकिन है कि पर्याप्त क्षमता के ना हों. इसकी वजह से वैज्ञानिकों को यह रोशनी असामान्य लग रही हो. ऐसे में वैज्ञानिकों को अपने उपकरणों को अपडेट करने की जरूरत होगी.
ब्लैकहोल सैजिटैरस A* का यह असामान्य व्यवहार इस साल तीन बार देखा गया. 13 मई को सैजिटैरस A* का बाहरी इलाका पहले की तुलना में लगभग दो गुना ज्यादा चमकदार था. इसके बाद की गईं दूसरे शोधों से भी पता चला है कि इस ब्लैकहोल का बाहरी हिस्सा ज्यादा चमकदार हो गया है.
तस्वीर के बाद अब ब्लैकहोल का वीडियो भी आएगा
दुनिया के अलग अलग देशों के 347 वैज्ञानिकों की एक टीम ब्लैकहोल के ऊपर काम कर रही है. इस टीम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वैज्ञानिक शेप डोएलेमान ने कहा है कि जिस तरह 2019 में ब्लैकहोल की तस्वीर आई वैसे ही 2020 में ब्लैकहोल का वीडियो भी जारी किया जा सकेगा. यह वीडियो बहुत ज्यादा स्पष्ट तो नहीं होगा लेकिन इससे देखा जा सकेगा कि ब्लैकहोल किस तरह आसपास मौजूद गैस के गुबार और तारों को अपने अंदर खींच लेता है. उन्होंने कहा कि अगले दशक में ब्लैक होल की हाई क्वालिटी तस्वीर और वीडियो लेने की तकनीक बना ली जाएगी.
ब्लैकहोल की तस्वीर जारी करने वाली टीम को हाल में विज्ञान का ऑस्कर कहा जाने वाला "ब्रैकथ्रू प्राइज इन फंडामेंटल फिजिक्स" दिया गया है. इस पुरस्कार में 30 लाख डॉलर यानी करीब 20 करोड़ रुपये की इनामी राशि दी जाती है. ब्लैकहोल की तस्वीर लेने के इस प्रोजेक्ट पर पिछले 20 सालों से काम किया जा रहा था. तस्वीर लेने के बाद अब ब्लैकहोल का एक साफ और स्पष्ट तस्वीर लेकर उस पर शोध करना इस टीम के सामने एक नया लक्ष्य है.
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विज्ञान विश्व