सत्ता ट्रांजिश्नल सरकार को सौंपें विद्रोही सैनिक : ECOWAS
18 अगस्त सैनिकों के एक विद्रोह के बाद राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता का तख़्तापलट कर दिए जाने के बाद से ECOWAS ने माली की सदस्यता रद्द कर दी थी, सीमाओं को बंद कर दिया था और माली के साथ किसी भी क़िस्म के वित्तीय आदान प्रदान को भी रोक दिया था.
- Khidki Desk

माली में हुए सैन्य तख़्तापलट के बाद, माली के पश्चिमी अफ़्रीकी पड़ोसी देशों ने, माली की सेना से कहा है कि उसे तुरंत सत्ता को नागरिकों के नेतृत्व वाली ट्रांजिश्नल सरकार को सौंप देना चाहिए और एक साल के भीतर अगले चुनाव कराने चाहिए.
इसके बदले में 15 पश्चिमी अफ़्रीकी देशों के संघ, इकनॉमिक कम्युनिटी ऑफ़ वैस्ट एफ़्रिकन स्टेट्स यानि ECOWAS ने वादा किया है कि वह माली पर लगाए गए प्रतिबंधों को धीरे धीरे हटाएगा. ECOWAS के अध्यक्ष और नीगर के राष्ट्रपति Mahamadou Issoufou ने इस बात की जानकारी दी.
18 अगस्त सैनिकों के एक विद्रोह के बाद राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता का तख़्तापलट कर दिए जाने के बाद से ECOWAS ने माली की सदस्यता रद्द कर दी थी, सीमाओं को बंद कर दिया था और माली के साथ किसी भी क़िस्म के वित्तीय आदान प्रदान को भी रोक दिया था.
ECOWAS ने कहा है कि वह माली के हालात को लेकर चिंतित है और इसलिए उसे माली को लेकर सख़्त रवैया अपनाने की ज़रूरत है. ECOWAS के अध्यक्ष महमादोउ इसौफ़ू ने कहा है कि ECOWAS चाहता है कि माली की ट्रांजिश्नल सरकार के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आम नागरिक हों और उन्हें अगले राष्ट्रपति और आम चुनावों को लड़ने से वंचित रखा जाए.
ECOWAS ने माली में विद्रोही सैनिकों को अपमे बैरकों में वापस लोट जाने के लिए भी कहा है.
इसौफ़ू ने माली के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा करने के एक ऑनलाइन शिखर बैठक भी बुलाई थी. माली में तख्तापलट करने वाले सैनिकों ने भी इस बैठक को लेकर उत्साह जताया था. इसी क्रम में उन्होंने गुरुवार को राष्ट्रपति कीता को रिहा कर दिया था और उन्हें घर लौटने की अनुमति दे दी थी.
बता दें कि बीती 18 अगस्त को बमाको के बॉस एक बेस पर विद्रोह करने वाले विद्रोही सैनिकों ने राष्ट्रपति किता, प्रधानमंत्री बाऊबोस सिसे और एनी वरिष्ठ अधिकारीयों को हिरासत में ले लिया था. अगले दिन, कीता ने अपने इस्तीफ़े की घोषणा की थी जिसे राष्ट्रीय टेलीविजन पर दिखया गया था, जिसमे कीता ने कहा था कि उनके पास और कोई चारा नही रह गया है वो ख़ून ख़राबा नही चाहते है. इस दौरान माली के प्रशासन का नियंत्रण सैन्य हाथों में हैं.