'डोनॉल्ड ट्रम्प हर बीतते दिन कर रहे हैं नए दावे'
आज है 1 मई, दिन शुक्रवार, आप रोहित जोशी से सुन रहे हैं खिड़की इंटरनेश्नल बुलेटिन. यहां हर रोज़ हम आपके लिए लेकर आते हैं दुनिया भर की अहम ख़बरें.
-Khidiki Desk
डोनॉल्ड ट्रम्प हर बीतते दिन नए दावे कर रहे हैं
अब उनका दावा है कि कोरोना चीन की ही लैब से दुनिया भर में फैला और उनके पास इससे जुड़े सबूत हैं। हालांकि अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियां चीन की भूमिका के बारे में अभी ख़ुद कोई पक्का निष्कर्ष नहीं दे पाई हैं। उधर अमेरिका और चीन के बीच चल रहे इस अघोषित शीत युद्ध के बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने अफ़सोस जताते हुए कहा है कि जिस समय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सबसे अधिक एक साथ आकर एक दूसरे का सहयोग की ज़रूरत है वह पूरी तरह बटा हुआ है. एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने विश्व के ताक़तवर देशों के नेतृत्व को कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम करने में नाकाम रहने का ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा,
''नेतृत्व और ताक़त के बीच एक स्पष्ट दूरी दिखाई दे रही है. हमें इस दौर में नेतृत्व के ऐसे कई बेहतरीन उदाहरण दिखाई दिए हैं लेकिन उनके साथ ताक़त हीं जुड़ी हुई है. वहीं जहां ताक़त है वहां ज़रूरी नेतृत्व नहीं दिखाई दे रहा। मुझे उम्मीद है कि हालात जल्द ही ठीक हो जाएंगे इससे पहले कि देर हो जाए।''
उधर गुटरेस ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि कोरोना महामारी को लेकर वैश्विक शक्तियों और दुनियाभर से जिस तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली हैं उससे
''झटका तो लगा है लेकिन उन्हें आश्चर्य नहीं हुआ है।"
WHO पर अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंध पर पूछे गए सवाल पर गुटरेस ने कहा—
''मुझे लगता है कि यह बहुत ज़रूरी है कि WHO को अधिक से अधिक संसाधन दिए जाएं। क्योंकि मौजूदा हालातों में, जिस वजह से में इस बात पर ज़ोर डाल रहा हूं, वह इसलिए कि WHO को रिप्लेस करना संभव नहीं है. ख़ास कर विकासशील देशों को मदद पहुंचाए जाने के लिहाज से।और मेरा मानना है कि सबसे अधिक सहयोग की ज़रूरत विकासशील देशों को है।और यह कोई उदारता दिखाने का मामला नहीं है, असल में यह हर किसी के ख़ुद के भले का मामला है।''
हालांकि गुटरेस ने अमेरिका और चीन दोनों ही देशों को कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में महत्वपूर्ण माना है. उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा,
''अमेरिका और चीन दोनों ही बेहद अहम देश हैं। कोविड 19 से लड़ने और मेरी समझ में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को विकसित करने के लिहाज़ से इन दोनों का ही सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है। और मुझे उम्मीद है कि जलद ही इन दोनों का साथ आना संभव हो पाएगा।''
कोराना वायरस महामारी ने सामाजिक असमानता की जो हिंसा समाज में सभी जगह फ़ैली हुई है उसे सामने ला दिया है.
मशहूर फ्रांसीसी अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने कहा है कि मौजूदा कोरानावायरस महामारी ने सामाजिक असमानता की जो हिंसा समाज में सभी जगह फ़ैली हुई है उसे सामने ला दिया है. डैमोक्रेसी नाव डॉट ओआरजी से बात करते हुए थॉमस पिकेटी ने कहा—
''इस संकट का पहला दिखाई दे रहा प्रभाव सामाजिक असमानता की हिंसा है. लागू किए गए लॉकडाउन्स में लोग समान नहीं है. यह समानता रोजगार खो देने के लिहाज़ से या आय के स्रोतों के लुट जाने के लिहाज से एक सी नहीं है। आप देख सकते हैं कि जिन लोगों के पास छोटे से घर हैं या वे लोग जिनके पास घर हैं ही नहीं जो बेघर हैं, उनकी हालत उन लोगों से बिल्कुल अलग है जिन लोगों ने ख़ुद को अपने अपार्टमेंट्स में अपने घरों में बंद कर लिया है।''
अपनी किताब कैपिटल इन ट्वेंटीफर्स्ट सेंचुरी से काफी चर्चा में आए थॉमस पिकेटी की एक नई किताब कैपिटल एंड आइडियोलॉजी हाल ही में आई और इस किताब के बारे में कहा जा रहा है कि यह किताब राजनीतिक बदलावों का एक घोषणा पत्र है।
वैश्विक अप्रसार व्यवस्था में मौजूद अंतरालों का फायदा उठाकर सैकड़ों विदेशी कंपनियां भारत और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों के लिए सामग्री की ख़रीद में शामिल हैं
अमेरिका में स्थित एक नॉन प्रॉफ़िट रिसर्च ग्रुप, सेंटर फॉर एडवॉंस डिफेंस स्टडीज़ C4ADS ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सैकड़ों विदेशी कंपनियां भारत और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों के लिए सामग्री की ख़रीद में शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये कंपनियां इस बात का फ़ायदा उठा रही हैं कि परमाणु उद्योग में कोई वैश्विक रेगुलेशन नहीं हैं. C4ADS के ट्वीटर हैंडल से इस रिपोर्ट को शेयर करते हुए लिखा गया है,
'' पाकिस्तान और भारत की कंपनियां अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम के लिए तकनीक कैसे हासिल करती हैं, यह जानने के लिए हमने साढ़े बारह करोड़, से अधिक ट्रेड रिकॉर्ड्स का अध्ययन किया है. TRICK OF THE TRADE में, हम यह पता लगाते हैं कि कैसे दोनों देशों में इससे जुड़े क़िरदार, वैश्विक अप्रसार व्यवस्था में मौजूद अंतरालों का फायदा उठाते हैं।''
C4ADS की यह रिपोर्ट एक विस्तृत नज़रिया देती है कि कैसे बिगड़े रिश्तों वाले दो देशों को एक ही क़िस्म के नेटवर्क द्वारा उनके परमाणु कार्यक्रमों को विकसित करने के लिए सामग्री सप्लाई की जाती है. भारत और पाकिस्तान, दोनों शत्रु राष्ट्रों के ही परमाणु शक्ति सम्पन्न होने के चलते दुनिया भर में इस इलाक़े को सबसे ख़तरनाक न्यूक्लियर फ्लैशप्वाइंट माना जाता है।
10 दवाएं हैं जो कि कोरोना वायरस के इलाज के दौरान फ़ाइदेमंद साबित हो रही हैं
अमेरिका और फ्रांस में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक़, अलग अलग उपचारों से जुड़ी ऐसी 10 दवाएं हैं जो कि कोरोना वायरस के इलाज के दौरान फ़ाइदेमंद साबित हो रही हैं. ये दवाएं, कैंसर की थेरेपी से लेकर एंटीसाइकोटिक्स और एंटीथिस्टेमाइंस में प्रयोग होती हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस शरीर के भीतर कुछ प्रोटीनों का उपयोग कर कोशिकाओं को संक्रमित करता है और खुद की प्रतियां बनाता जाता है। शोधकर्ताओं ने इन प्रोटीनों की तलाश कर ऐसे रासायनिक कंपाउंड्स की ख़ोज की है जो वायरस को उन प्रोटीनों का उपयोग करने से रोक सकते हैं। इस अध्ययन में 47 ऐसे रासायनिक कंपाउंड्स पाए गए जो काफ़ी प्रभावी थे. इनमें से कम से कम 10 पहले से ही बाज़ार मे उप्लब्ध दवाओं में मौजूद हैं. इनमें मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन भी शामिल है , जिसका ज़िक्र पिछले दिनों काफ़ी आया था.
कोरोना संक्रमण
दुनियाभर में कारोना संक्रमण की तादात 33,27,246 पहुंच गई है. दुनिया भर में अब तक कुल मौतों का आंकड़ा 2,34,702 दर्ज किया गया है और 10,52,582 लोगों को सुरक्षित बचाया जा सका है.
यहां बताए गए सारे आंकड़े www.worldometers.info से लिए गए हैं.
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