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ट्रम्प के चक्कर में फ़ेसबुक ने अपने कर्मचारी को निकाला


यूज़र इंटरफ़ेस इंजीनियर, ब्रॉंन्डन डेल ने शुक्रवार को एक ट्वीट के ज़रिए कंपनी की ओर से ख़ुद को निकाले जाने की बात लिखी है.

- Khidki Desk




सोशल ​मीडिया जाइंट फ़ेसबुक ने अपने एक कर्मचारी को बाहर निकाल दिया है क्योंकि उसने कंपनी के सीईओ मार्क ज़ुकरबर्ग के उस फ़ैसले की आलोचना की थी जिसमें ज़ुकरबर्ग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के भड़काउ बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं करने का फ़ैसला लिया था. यूज़र इंटरफ़ेस इंजीनियर, ब्रॉंन्डन डेल ने शुक्रवार को एक ट्वीट के ज़रिए कंपनी की ओर से ख़ुद को निकाले जाने की बात बताते हुए लिखा -


''मैं यह दावा नहीं करता कि मुझे अन्यायपूर्ण तरीक़े से बाहर निकाला गया है. मैं फ़ेसबुक से तंग आ चुका था, जो नुक़सान यह पहुंचा रहा है, उस नुक़सान से. और उस चुप्पी से जो मरे साथ ही हम लोगों ने ओ​ढ़ी हुई थी. मैंने प्रतिक्रिया में एक पब्लिक फ़ीगर पर बात की. मेरी राय में इसे 'बुलिइंग' कहना असंगत है लेकिन यह असल में कोई मायने नहीं रखता.''

ट्रम्प ने ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन की आलोचना करते हुए फ़ेसबुक और ट्विटर पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए लिखा था, "when the looting starts, the shooting starts". इस पर ​फ़ेसबुक ने कोई भी कार्रवाई नहीं करने का फ़ैसला लिया था जबकि ट्विटर ने इस पोस्ट पर एक वार्निंग लेवल लगा कर इसे हिंसा का महिमामंडन करने वाला कहा था.


फ़ेसबुक के इस फ़ैसले पर ब्रॉंन्डन डेल समेत फ़ेसबुक के दर्जनों कर्मचारियों ने एतराज़ जताया था. डेल ने इसी क्रम में जो कमेंट किया था उस पर फ़ेसबुक ने क़दम उठाते हुए उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की है.


इधर दुनिया भर में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन उभार पर है. नस्ल भेद के प्रतीकों की मूर्तियां ढहाने के क्रम में ही ब्रसल्स में लोगों ने बेल्ज़ियम के राजा बॉदोइन की मूर्ति को नुक़सान पहुंचाया और लाल रंग से पोत दिया. ​दुनिया भर में अलग अलग शहरों में लोग नस्लभेद के प्रतीक लोगों की मूर्तियों और स्मारकों को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं. कई शहरों में स्थानीय प्रशासन ने एहतियातन ऐसी मूर्तियों को ख़ुद से हटवा लिया है.

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