एक ग्लेशियर का अंतिम संस्कार
आप लोगों ने शायद आइसलैंड का नाम सुना हो। उत्तरी ध्रुव की तरफ ग्रीनलैंड के ठीक नीचे यह बर्फीला देश मौजूद है। सोमवार के दिन यहां पर एक हिमनद का अंतिम संस्कार किया गया। इस अंतिम संस्कार में यहां के प्रधानमंत्री कैडरिन जाकोबस्दोत्र समेत सौ से ज्यादा लोग मौजूद रहे। आइसलैंड का यह पहला ग्लैशियर था, ग्लोबल वार्मिंग ने जिसकी हत्या कर दी। अब यह मर चुका है।
- कबीर संजय

ग्लैशियोलॉजिस्ट के मुताबिक 1890 में ओक्जोकुल नाम का यह ग्लैशियर कुल 16 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ था। जबकि, वर्ष 2012 में यह सिर्फ 0.7 वर्ग किलोमीटर भर बचा। जबकि, अब यह पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। विशेषज्ञों के मुताबिक आइसलैंड के हिमनदों से हर साल 11 अरब टन से ज्यादा बर्फ पिघल जा रही है। इसके चलते अनुमान है कि वर्ष 2200 तक यहां के चार सौ से ज्यादा हिमनद या ग्लैशियर पिघल जाएंगे।
अगर आप नक्शे पर आइसलैंड को देखें तो यह वैसे ही दिखाई पड़ेगा जैसे भारत के नीचे श्रीलंका दिखता है। यह ग्रीनलैंड के नीचे कुछ-कुछ ऐसी ही स्थिति में है। ग्रीनलैंड वही है, जिसे खरीदने के प्रयास में इन दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगे हुए हैं। वो ग्रीनलैंड खरीदकर चीन की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा और रूस से मिल रही सैन्य चुनौतियों का सामना करना चाहते हैं। ग्रीनलैंड का भी काफी बड़ा हिस्सा बर्फ से ढंका है। डोनाल्ड ट्रंप की इच्छा पूरी होने का मतलब है कि इस बर्फ का भी सर्वनाश। लेकिन, इसकी चिंता किसको है।
दुनिया पर एक मानवद्रोही व्यवस्था का राज है। वो पूरी दुनिया के ज्यादातर मनुष्यों और प्रकृति की दुश्मन बनी हुई है। उसे सिर्फ कुछ धनपशुओं के मुनाफे की परवाह है। आप तो जानते ही हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद कारपोरेट हैं। जबकि, अन्य देशों में भी कुछ इसी तरह का शासन है। अपने मुनाफे की अंधी हवस में डूबी मानवद्रोही व्यवस्था यह नहीं समझती कि यह पूरी पृथ्वी एक मुकम्मल शरीर के जैसे है। यहां पर ध्रुवों पर जमा बर्फ पूरी पृथ्वी को ठंडा रखती है। बादल किसी और समुद्र से उठते हैं और किसी और देश पर जाकर बरसते हैं। यहां पर कोई एक देश अपने देश के पर्यावरण को भला-चंगा भी रख ले तो भी उसे दूसरे के किए का परिणाम भुगतना पड़ेगा।
जैसे कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार चाहे जो हो, लेकिन हिमनद आइसलैंड के पिघल रहे हैं। एमेजॉन के जंगल सदियों से पूरी पृथ्वी के लिए सांस लेते रहे हैं। लेकिन, बोलसोनारो नाम के एक सज्जन यहां के पूरे जंगल को काटने पर तुले हुए हैं। कुछ लोगों का अनुमान है कि कुछ वर्ष पहले से अब तक यहां पर टर्की के बराबर क्षेत्रफल का जंगल साफ किया जा चुका है। यहां पर हर मिनट में दो फुटबाल के मैदानों के बराबर जंगल साफ किया जा रहा है। कुछ दिनों पहले इसके डाटा ब्राजील की स्पेस एजेंसी के प्रमुख ने जारी कर दिए थे। बोलसोनारो महोदय ने उन्हें तुरंत ही पद से हटा दिया। अभी अंतरिक्ष से जो डाटा एकत्रित किए गए हैं, उससे पता चलता है कि इस जंगल में कई जगहों पर आग लगी हुई है। धुआं उठ रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेजन के जंगलों को इस तरह का नुकसान पहुंच गया है कि उसकी भरपाई संभव नहीं है।
शायद जल्द ही एमेजॉन के जंगलों के लिए भी शोकसभा का आयोजन किया जाए !!!
पता नहीं यह शोकसभा किसी हिमनद की है, एमेजॉन के जंगलों की है या कि पूरी मानवता की है !!!

(दोनों तस्वीरें इंटरनेट से। पहली वाली आइसलैंड में मर चुके ग्लैशियर की याद में लगाई गई है। इस पर लिखा है लेटर टू फ्यूचर। दूसरी फोटो एमेजॉन के जंगलों में लगी आग की है।)
कबीर संजय वरिष्ठ पत्रकार हैं.
आलेख उनकी fb वॉल से साभार