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ग़रीबी से जंग में पिछड़ रहा भारत

विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक़ COVID-19 के कारण कई लोगों ने अपनी नौकरियां और अन्य आय के साधनों को खो दिया है, जिससे लाखों परिवारों के गरीबी रेखा के नीचे चले जाने की आशंका है.

- Khidki Desk

विश्व बैंक का कहना है कि भारत गरीबी से जारी जंग में पिछड़ सकता है. संगठन की ओर से जारी एक ड्राफ्ट रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोविड 19 की विश्वव्यापी महामारी के प्रभाव से भारत गरीबी के खिलाफ अब तक हासिल की गई बढ़त को खो सकता है.


विश्व बैंक ने अपनी ताजा इंडिया डेवेलपमेंट अपडेट के ड्राफ्ट में कहा है कि भारत ने पिछले कई वर्षों में अब तक ग़रीबी को हटाने के प्रयासों से जिन सुधारों को अर्जित किया है उनको खो सकता है.


COVID-19 के कारण कई लोगों ने अपनी नौकरियां और अन्य आय के साधनों को खो दिया है, जिससे लाखों परिवारों के गरीबी रेखा के नीचे चले जाने की आशंका है.


इस रिपोर्ट को विश्व बैंक ने भारत की सरकार से साझा किया है और इसमें जून 2020 तक के आंकड़े शामिल किए गए हैं.


बता दें कि भारत में गरीबी की दर अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा के मानकों के मुताबिक 2011-2015 के बीच 21.6% से गिरकर 13.4 % हो गई थी, जिसके वापस पिछले स्तर पर पहुंचने की आशंका बढ़ गयी है.


रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार की ओर से घोषित बीस लाख करोड़ के पैकेज का ज्यादातर हिस्सा सरकारी खर्चों में ही इस्तेमाल हो जाएगा, जो इस वित्तीय वित्तीय वर्ष की जीडीपी का तकरीबन 0.7-1.2 % तक रहेगा.


हालांकि रिपोर्ट अभी ड्राफ्ट है और अंतिम रिपोर्ट करीब एक हफ्ते में आएगी, जिससे स्थिति और स्पष्ट होगी। वियव बैंक की मानें तो भारत की जीडीपी इस वर्ष 3 प्रतिशत से ज्यादा सिकुड़ सकती हैं.


हालांकि वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने जून के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संकलन में सुधार को देखते हुए जीडीपी के आंकड़ों के उम्मीद से अच्छे होने की बात कही है.

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