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प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद भी सुलग रहा लेबनान

लोग देश को भ्रष्टाचार में जकड़े राजनीतिक अभिजात्य वर्ग से तंग आ चुके हैं और किसी बड़े बदलाव की राह देख रहे हैं.

khidki desk


आर्थिक दिवालिएपन की कगार पर खड़े और भयानक विस्फोट की तबाही झेल रहे लेबनान से जहां प्रधानमंत्री और कैबिनेट के इस्तीफा देने के बावजूद न तो लोगों का आक्रोश थम रहा है और न ही इससे लेबनान का राजनीतिक और आर्थिक संकट हल होता दिख रहा है.


लगातार चौथे दिन मंगलवार को भी सड़कों पर प्रदर्शन जारी रहे. लोग देश को भ्रष्टाचार में जकड़े राजनीतिक अभिजात्य वर्ग से तंग आ चुके हैं और किसी बड़े बदलाव की राह देख रहे हैं. पिछले सप्ताह ताकतवर धमाके से दहल उठे बेरूत में मंगलवार को पोर्ट के पास सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए और ठीक उसी जगह मलबे पर खड़े होकर इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी.


यह ठीक शाम के छह बजकर नौ मिनट पर उसी समय पर हुआ जिस समय पिछले सप्ताह लापरवाही से रखे अमोनियम नाइट्रेट में धमाका हुआ था. लेबनान में जारी राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच प्रधानमंत्री हसन दियाब के इस्तीफे देने के बाद देश को नए और युवा नेतृत्व की जरूरत है.


पिछले सप्ताह हुए ताकतवर धमाके और देश की दुर्दशा के लिए वर्तमान सरकार और भ्रष्ट राजनीतिक अभिजात्य वर्ग को जिम्मेदार मानने वाली लेबनान की जनता का आक्रोश सरकार के भंग होने के बाद भी शांत नहीं हुआ है. वे मानते हैं कि इससे समस्यायों का हल नहीं निकलने वाला. प्रदर्शनकारियों के हाथों में अब भी वह पोस्टर देखे जा सकते हैं, जिनमें लिखा है कि सरकार के हटने से कुछ नहीं बदलेगा.


लगातार चौथे दिन मंगलवार को भी सड़कों पर विरोध प्रदर्शन जारी रहे. बेरूत के लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति माइकल ओऊन, संसद की स्पीकर नबीह बेरी और पूरी भ्रष्ट व्यवस्था अब भी बरकरार है. जब लोग कहते हैं कि उनकी निगाह में सरकार और कैबिनेट महज दिखावा है, असली बागडोर तो मिलिशिया समूहों के हाथ में है और सबकुछ वही नियंत्रित करते हैं. तब इशारा ईरान समर्थित शिया लड़ाके समूह हिज्बुल्लाह की ओर होता है.


बता दें कि पिछले साल अक्तूबर में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर टैक्स लगाए जाने के बाद भड़के जनाक्रोश को फौरी तौर पर शांत करने के लिए हसन दियाब को इस वर्ष जनवरी में प्रधानमंत्री बनाया गया था. इससे पहले वह विश्वविद्यालय में अध्यापन करते थे.


पर्दे के पीछे से नियंत्रण रखने वाली ताकतों ने अपने लोगों को नई कैबिनेट से दूर रखा था. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि विश्व खाद्य कार्यक्रम की ओर से फिलहाल लेबनान को पचास हजार टन आटा भेजा जा रहा है. ताकि खाने की कमी न हो. इसमें से 17500 टन दो सप्ताह में पहंुच जाएगा. तबाह हुए पोर्ट को ठीक करने की कोशिश की जा रही है ताकि खाद्य सामग्री लाई जा सके.


प्रधानमंत्री हसन दियाब ने अपनी कैबिनेट का इस्तीफा देते हुए धमाके के लिए देश के अंदर मौजूद भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया. हसन दियाब को इसी साल जनवरी में कई महीनों के गतिरोध के बाद प्रधानमंत्री बनाया गया था. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने देश को बचाने के लिए आगे बढ़कर एक रोडमैप तैयार किया था, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण सफल नहीं हो सका.


किसी का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री ने कहा कि लेबनान में भ्रष्टाचार राष्ट्र से भी बड़ा है और एक बहुत ही मजबूत और कंटीली दीवार की तरह है जो बदलाव से हमें रोकती है. एक ऐसी दीवार जो कि ऐसे वर्ग के जरिए चारों तरफ से घेर दी गई है जो वर्ग अपने हितों की रक्षा के लिए हर गंदे तरीके अपना रहा है. अपने संदेश में उन्होंने कई बार ‘वे’ शब्द का प्रयोग किया।


उन्होंने कहा कि इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने और असली बदलाव की लोगों की इच्छा का पालन करते हुए सरकार को भंग कर रहे हैं. राष्ट्रपति को संसद की मदद से अब नया प्रधानमंत्री चुनना होगा, जिसमें वही संकीर्ण राजनीतिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी जो कि समस्या की जड़ है.


लेबनान में विभिन्न धार्मिक गुटों की नुमाइंदगी कर रहे लोगों के बीच सत्ता का बंटवारा होता है. 1975 से लेकर 1990 तक चले गृहयुद्ध के कारण कई लड़ाके सरदारों ने राजनीति में कदम रखा था और अब भी लेबनान के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में उनका काफी दबदबा है. सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे कई लोग देश में भ्रष्टाचार के लिए इसी सिस्टम को जिम्मेदार मानते हैं.

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