top of page

दोबारा स्कूल नहीं लौट पाएंगे दुनिया भर के कई बच्चे

यूनेस्को की ग्लोबल एजूकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि ग़रीबी के चलते तक़रीबन 25 करोड़ 80 लाख बच्चे और युवा अपनी पढ़ाई से पूरी तरह वंचित रह जाएंगे. कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्थाओं के चलते छिने रोज़गार और छाई ग़रीबी इसकी मुख्य वजह होगी.

- Khidki Desk


मौजूदा दुनिया के लिए कोरोनावायरस जितना बड़ा स्वास्थ संकट लेकर आया है उससे भी गहरे कई ऐसे संकट हैं जिनका और स्थाई प्रभाव पड़ना है. अब यूनेस्को ने एक नए संकट की ओर इशारा किया है, उसकी 2020 की ग्लोबल एजूकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट कहती है कि ग़रीबी के चलते तक़रीबन 25 करोड़ 80 लाख बच्चे और युवा अपनी पढ़ाई से पूरी तरह वंचित रह जाएंगे. कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्थाओं के चलते छिने रोज़गार और छाई ग़रीबी इसकी मुख्य वजह होगी.


यूनेस्को ने इपनी इस सालाना ग्लोबल एजूकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट में बताया है कि कोरोना वायरस की वजह से स्कूलों के बंद हो जाने के चलते दुनिया के तक़रीबन 90 फ़ीसदी बच्चों की पढ़ाई सीधे तौर पर प्रभावित हुई है.


रिपोर्ट कहती है कि अधिक चिंता उन ग़रीब बच्चों की है जिनमें से एक बड़ा हिस्सा अब वापस स्कूलों की ओर नहीं लौट पाएगा. इन ग़रीब बच्चों में ख़ासकर लड़कियों, विकलांगों और विस्थापन झेल रहे बच्चों की बड़ी तादात होंगी.


यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल ऑड्रे एजौले ने इसी चिंता को ज़ाहिर करते हुए लिखा,


''मौजूदा स्वास्थ संकट कईयों को पीछे छोड़ धकेल सकता है, ख़ासतौर पर ग़रीब लड़कियों और दूसरे असहाय लोगों को जो फिर कभी स्कूलों में वापस नहीं लौट पाएंगे.''

कोरोना वायरस के एहतिहयातों के चलते जब स्कूलों को बंद किया गया तो कुछ समृद्ध परिवारों के छात्र, किसी तरह कम्प्यूटर और स्मार्ट फ़ोन्स में इंटरनेट के ज़रिए अपनी पढ़ाई चालू रख पाए लेकिन करोड़ों की संख्या में ऐसे बच्चे पूरी तरह शिक्षा से वंचित रह गए जिनके पास ये सुविधाएं मौजूद नहीं थीं. उन देशों में यह संकट और ज़्यादा गहरा दिखाई दिया है जो कि कम या मघ्यम आय वाले देश हैं.


हालांकि रिपोर्ट ने इन सब चिंताओं के बीच ही कोरोनावायरस के बाद बने इन हालात को बदलाव के एक अवसर की तरह भी देखा है. ग्लोबल एजूकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट के डायरेक्टर मैनोस एंटेनिनिस ने रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए कहा है कि कोविड-19 ने कुछ नए रास्तों को भी खोला है -


''कोविड-19 ने हमें हमारी पूरी शिक्षा व्यवस्था पर नए सिरे से सोचने का एक वास्तविक अवसर दिया है. लेकिन एक ऐसी दुनिया की तरफ़ बढ़ना जो कि मूल्यों और विविधताओं की कद्र करती हो, ऐसा एक रात में नहीं होने जा रहा. एक ही छत के नीचे सभी बच्चों को पढ़ाना और ऐसा वातावरण बनाना जिसमें बच्चे सबसे बेहतरीन सीख सकें, यह स्वाभाविक रूप से काफ़ी मुश्किल है. लेकिन कोविड-19 ने हमें दिखाया है कि अगर हम अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करें तो ऐसे भी रास्ते हैं जिनके ज़रिए हम चीज़ों को अलग अंदाज़ में कर सकते हैं.''

नई विकसित हो रही तक़नीकों का कैसे लोकतांत्रीकरण किया जाए और दुनिया के सबसे ग़रीब और वंचित तबकों तक तकनीक के इस्तेमाल के ​ज़रिए कैसे शिक्षा का प्रसार किया जाए, यूनेस्को की यह रिपोर्ट इस ओर उम्मीद भरे सवाल उठा रही है.

bottom of page