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फ़लस्तीन के पुराने विवाद में नया उभार

दुनिया के सबसे विवादित राजनीतिक भूगोलों में से एक फ़लस्तीन में विवाद फिर गहराया हुआ है और इसे एक निर्णायक मोड़ पर माना जा रहा है.

- Khidki Desk



इसराएल के प्रधानमंत्री बेन्जामेन नेतन्याहू की एक महत्वाकांक्षी योजना पर अमल के फ़ैसले ने विवाद फिर गहरा दिया है, जिसमें वे वेस्टबैंक और रणनीतिक महत्व की जॉर्डन घाटी के कुछ इलाक़ों की ओर विस्तार करना चाहते हैं जिस पर पहले से ही इसराएल ने अवैध रूप से क़ब्जा किया हुआ है.


हालांकि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते इस योजना को टालने की भी बात की जा रही है लेकिन इसराएल की सेना और ख़ुफ़िया महकमे के अधिकारियों ने चेतावनी दी है यह क़दम इसराएल की सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा साबित हो सकता है.


नेतन्याहू की इस योजना को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प का भी समर्थन हासिल है उन्होंने जनवरी में अपनी 'मध्य पूर्व योजना' की घोषणा की थी जिसमें कहा गया था कि उसका मक़सद फ़लस्तीनी इलाक़े को असंबद्ध करते हुए एक असैन्यीकृत फ़लस्तीन राज्य स्थापित करना है.


इधर फ़लस्तीन के शहर रामाल्लाह और ग़ज़ा में लोग ​इसराएल की इस योजना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. पोस्टर्स और फ़लस्तीनी झंडे को फ़हराते हुए वे इसराएल के क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे हैं, उनमें से कुछ नारों में, कहा गया है — ''फ़लस्तीनी ज़मीन पर इसराएली क़ब्जा बंद करो.'' और ''हम तब तक लड़ेंगे जब तक पूरी आज़ादी नहीं मिलती. हम नहीं हटेंगे.'' इन प्रदर्शनों में कई अंतर्राष्ट्रीय राजनयिकों ने भी हिस्सा लिया था और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस ओर ख़ींचना चाहा था.

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