कश्मीरी हालात की तस्वीरों पर पुलित्ज़र पुरस्कार
कश्मीर में 370 को हटाए जाने के बाद पैदा हुए हालात पर फ़ोटो फ़ीचर तैयार करने वाले फ़ोटो जर्नलिस्ट्स को दुनिया का सबसे बड़ा पुलित्ज़र पुरस्कार दिया गया है.
- Khidki Desk

पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद कश्मीर में पैदा हुए हालात पर फ़ोटो फ़ीचर तैयार करने वाले एसोसिएटेड प्रेस समाचार एजेंसी के फ़ोटोग्रॉफ़र डार यासिन, मुख़्तर खान और चन्नी आनंद को फ़ीचर कैटेगरी में फ़ोटो जर्नलिज़्म के सबसे बड़े पुरस्कार पुलित्ज़र पुरस्कार से नवाज़ा गया है. कोरोनावायरस के प्रकोप के बीच लॉकडाउन के चलते सोमवार को पुलित्ज़र बोर्ड ने एक यूट्यूब लाइव, के ज़रिए वर्चुअली इसकी घोषणा की. बोर्ड के एडमिनिस्ट्रेटर Dana Canedy ने अपने घर से एक यूट्यूब लाइव में इन फ़ोटो जर्नलिस्ट्स के काम को दुनिया को पुरस्कार से नवाज़ा. आम तौर पर न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक समारोह में यह पुरस्कार दिया जाता है.
Image Courtesy: AP (Dar Yasin/Mukhtar Khan/Channi Anand)
5 अगस्त को भारत सरकार की ओर से अचानक अनुच्छेद 370 के समाप्ति की घोषणा के बाद कश्मीर में लगाए गए अनिश्चितकालीन कर्फ्यू के बीच पत्रकारों और फ़ोटो जर्नलिस्ट के लिए भी अपना काम चुनौती से भरा हो गया था. एसोसिएट प्रेस ने अपने फ़ोटो जर्नलिस्ट को मिले इस पुरस्कार के बारे में लिखी एक रिपोर्ट में लिखा है,
''जगह-जगह बाधित सड़कों पर तकरीबन रेंगते हुए, अजनबियों के घरों में पनाह लेते हुए और सब्ज़ी के झोले में कैमरे को छिपाए हुए, इन तीनों फ़ोटोग्रॉफ़र्स ने प्रदर्शनकारियों, पुलिस और पैरामिलेट्री कार्रवाइयों और आम जीवन की तस्वीरें खींची और फिर एयरपोर्ट पहुंचकर किसी तरह दिल्ली आ रहे यात्रियों को इसके लिए राज़ी किया कि वे इन तस्वीरों को दिल्ली स्थित एसोसिएटेड प्रेस के दफ़्तर तक पहुंचा दें.''
इस रिपोर्ट में यासीन कहते हैं, ''हमारे हालात चूहे-बिल्ली की तरह थे. और इन चीज़ों ने हमें और प्रेरित किया कि हमें इन हालात में चुप्पी नहीं साधनी है.'' इस अनिश्चित कालीन कर्फ्यू के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन और प्रेस पर लगाई गई पाबंदी के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की काफ़ी आलोचना हुई है. कश्मीर में हालात के चलते हाल ही में प्रेस स्वतंत्रता पर जारी 180 देशों की सूचि में भारत का स्थान गिर कर 142 वें नंबर पर आ गया है. हालांकि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सर्वेक्षण करने वालों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वे प्रेस स्वतंत्रता की बुरी तस्वीर पेश करने वाले सर्वेक्षणों को बेनक़ाब करेंगे.