व्यंग्य: रामगढ़ की शिक्षा व्यवस्था.. अथ बसंती उवाच!
देखो जी, यूँ तो अपने रामगढ़ में एक बहुत क़ाबिल, ज़हीन, ईमानदार शिक्षा मंत्री हैं.. ईमाम साहब.. पर क्या करें बेचारे देख नहीं सकते..! तो उनके नियर एंड डियर जो कहते हैं वही सच मान लेते हैं l ऊपर से उन्हें पंचायत का प्रधान भी बना रखा है.. अब तुम ही बताओ कि एक अकेला आदमी पंचायत के झगड़े निपटाए या स्कूल में दाल -भात खिलाये ?
- मुकेश प्रसाद बहुगुणा

वीरू - तुम्हारे रामगढ़ की शिक्षा व्यवस्था खराब क्यों है.. बसंती ?
बसंती - देखो जी, यूँ तो अपने रामगढ़ में एक बहुत क़ाबिल, ज़हीन, ईमानदार शिक्षा मंत्री हैं.. ईमाम साहब.. पर क्या करें बेचारे देख नहीं सकते..! तो उनके नियर एंड डियर जो कहते हैं वही सच मान लेते हैं l ऊपर से उन्हें पंचायत का प्रधान भी बना रखा है.. अब तुम ही बताओ कि एक अकेला आदमी पंचायत के झगड़े निपटाए या स्कूल में दाल -भात खिलाये ?
वीरू - तो कोई निदेशक वगैरह भी तो होगा ? उनकी तो आंखें ठीक होंगी ? वो क्यों नहीं कुछ करते ?
बसंती - यूँ तो ठाकुर साहब निदेशक हैं.. पर देखने वाली बात ये है कि बेचारों के हाथ कटे हुए हैं.. अब किसी की आंखें तो हों, पर हाथ कटे हों, तो कोई क्या कर सकता है ? कुर्सी पर बैठ टुकुर-टुकुर देखते रहते हैं बेचारे l
वीरू - तो शिक्षा अधिकारी क्या करते हैं ?
बसंती - यूँ तो हमारे यहाँ अंग्रेजों के ज़माने का शिक्षा अधिकारी भी है.. पर वो है न.. हरिराम नाई.. मुआ मुंहलगा है अंग्रेजों के ज़माने के साहब का.. हर समय उल्टी -सुल्टी पढ़ाता रहता था उन्हें.. आजकल इमाम साहब के यहाँ लगा है अटैचमेंट में.. चुगली प्रकोष्ठ बना रखा है वहां l
वीरू - तो मास्टर लोग तो होंगे ? वो क्या करते हैं ?
बसंती - यूँ तो कहने को चार मास्टर हैं यहाँ..लेकिन एक मास्टर सूरमा भोपाली कई साल से प्रतिनियुक्ति पर है, तो यहाँ रहते तीन ही हैं - गब्बर, साम्भा और कालिया l बीहड़ों में रहते हैं, स्कूल रमसा ( रामगढ़ माध्यमिक शिक्षा अभियान ) का है, तो कई कई महीनों तक पगार ही नहीं मिलती बेचारों को.. खाने के लाले पड़े हुए हैं.. भोजन माता लीला मौसी दया कर के खिला देती है कभी कभीl
यूँ तो शिक्षक संघ भी है, पर वे दुर्गम -सुगम की धुन पर हेलन का डांस देखने में व्यस्त रहते हैं l कुछ फ़ुरसत मिली तो चुनाव प्रचार में लग जाते हैं l
देखो! तब से हम ही बोलते जा रहे हैं.. पर तुमने नहीं बताया कि तुम दोनों कौन हो ? और यहाँ क्यों आये हो ?
जय - हम स्कूल में छापा मारने आये हैं जी, शिकंजी बेचा करते थे, अब मास्टरों पर शिकंजा कसेंगे.. कसम से l