top of page

सूर्य ग्रहण : आग के छल्ले जैसा दिखेगा सूरज

सूर्यग्रहण केवल अमावस्या यानी कि न्यू मून डे पर ही दिखाई देता है. इस दौरान चंद्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी के बीच से गुजरता है, तो पृथ्वी के जिस हिस्से पर चंद्रमा की छाया पड़ती है वहां से देखने पर सूर्य का कुछ हिस्सा चंद्रमा से ढका दिखाई देता है.

-khidki desk




आज 21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोग आज 'रिंग ऑफ़ फ़ायर' या 'आग के छल्ले' के रूप में सूर्य ग्रहण को देख पाएंगे. हांलांकि 'रिंग ऑफ़ फ़ायर' का दीदार केवल 1 मिनट के लिए ही किया जा सकेगा.


अल्मोड़ा स्थित अंतरिक्ष एस्ट्रोनॉमी क्लब के खगोलविद राकेश बिष्ट ने बताया कि सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर सूर्य ग्रहण शुरू हो जायेगा और लगभग साढ़े तीन घंटे बाद यानी तकरीबन 12 बजकर 10 मिनट पर सूर्य का अधिकतम 95 प्रतिशत से अधिक हिस्सा चंद्रमा के पीछे होगा. 12 बजकर 10 मिनट पर आप 'रिंग ऑफ़ फ़ायर' का दीदार कर सकते हैं. सूर्य ग्रहण 3 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगा. आज लगने वाला सूर्य ग्रहण करीब 6 घंटे लंबा रहेगा.


राजस्थान के सूरतगढ़ और अनूपगढ़, हरियाणा के सिरसा, रतिया और कुरुक्षेत्र, उत्तराखंड के देहरादून, चंबा, चमोली, अल्मोड़ा और जोशीमठ जैसी जगहों से 'आग का छल्ला' एक मिनट के लिए दिखेगा.


सूर्यग्रहण केवल अमावस्या यानी कि न्यू मून डे पर ही दिखाई देता है इस दौरान चंद्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी के बीच से गुजरता है, तो पृथ्वी के जिस हिस्से में चंद्रमा की छाया पड़ती है वहां से देखने पर सूर्य का कुछ हिस्सा चंद्रमा से ढका दिखाई देता है.


इस छल्लेदार सूर्य ग्रहण को देखने का खगोल शास्त्री लम्बे बतज़ार कर रहे है, यह घटना वैज्ञानिकों के लिये एक महत्वपूर्ण अवसर होता है जिससे कि वो खगोलविज्ञान के नये पहलुओं का अध्ययन कर पाते हैं. पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य का फोटोस्फीयर चंद्रमा द्वारा ढक जाने के कारण सूर्य की सबसे बाहरी परत, जिसको कोरोना कहते हैं प्रकाशित दिखती है. कोरोना में होने वाली विभिन्न परिघटनाओं के अध्ययन के लिए सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक दृष्टी से एक महत्वपूर्ण अवसर है. सामान्य दिनों में सूर्य की अत्यधिक चमक के कारण कोरोना नहीं दिखाई देता.

अल्मोड़ा स्थित अंतरिक्ष एस्ट्रोनॉमी क्लब के खगोलविद राकेश बिष्ट ने बताया कि सूर्यग्रहण को साधारण चश्मे एवं फोटोग्राफिक फिल्म कि मदद से नहीं देखा जाना चाहिये इसके लिये ISO प्रमाणित सोलर फिल्टर्स युक्त चश्मों का ही प्रयोग करना चहिये. साधारण धूपचश्मे, X-Ray फिल्म एवं फोटोग्राफिक फिल्टर्स हानिकारक अल्ट्रावायलेट विकिरण से सुरक्षा प्रदान नहीं करते जो कि आखों को गंभीर नुकसान पंहुचा सकती हैं. उन्होंने बताया की आगामी सूर्यग्रहण को आधुनिक सोलर फ़िल्टर युक्त दूरबीन, एक्लिप्स ग्लासेज एवं प्रोजेक्शन विधि द्वारा बच्चों एवं नगरवासियों को जिलाधिकारी कार्यालय अल्मोड़ा से फेसबुक लाइव दिखाया जायेगा साथ ही ग्रहण एवं उससे जुड़े मिथक तथ्यों , सोलर फ्लायेर्स, सूर्य के डार्क स्पॉट से जुडी रोचक जानकारियाँ भी दी जायेंगी.

bottom of page