top of page

सदियों में आती हैं ऐसी महामारियां, दशकों तक रहता है असर

WHO डायरेक्टर जनरल टैड्रोस गैब्रिएसस अधानोम ने जेनेवा में मौजूद WHO के हेडक्वॉर्टर्स में इमर्जेंसी कमेटी की बैठक में कहा कि इस तरह की महामारियां शताब्दियों में आती हैं और दशकों तक इसका प्रभाव बरक़रार रहेगा.

- Khidki Desk

दुनिया के ​इतिहास में एक और महामारी बन कर आए कोरोनावायरस का दुनिया पर दशकों तक गहरा असर दिखाई देगा. WHO डायरेक्टर जनरल टैड्रोस गैब्रिएसस अधानोम ने जेनेवा में मौजूद WHO के हेडक्वॉर्टर्स में इमर्जेंसी कमेटी की बैठक में कहा कि इस तरह की महामारियां शताब्दियों में आती हैं और दशकों तक इसका प्रभाव बरक़रार रहेगा. उन्होंने कहा -

''जब हमने तक़रीबन 6 महीने पहले एक जन स्वास्थ आपातकाल की घोषणा की थी उस वक्त 100 से भी कम केस थे. सटीक तौर पर कहा जाए तो 98 केस थे और चीन के बाहर तब तक किसी की मौत नहीं हुई थी. यह महामारी शताब्दियों में आने वाला स्वास्थ संकट है और इसका असर दशकों तक बरक़रार रहेगा.''

कारोनावायरस ने जहां एक ओर स्वास्थ का संकट खड़ा किया है वहीं दूसरी ओर अर्थव्यवस्थाओं पर भी गहरी चोट पहुंची है. तक़रीबन 150 फॉर्मास्युटिकल कंपनियां कोरोना वायरस की कारगर वैक्सीन बनाने की मुहीम में जुटी हैं. हालांकि WHO की राय है कि 2021 के शुरूआत तक ही किसी भी वैक्सीन के आ सकने की संभावना है.


टैड्रोस ने कहा है कि इसी सिलसिले में वायरस के बारे में नई जानकारियां भी बढ़ती जा रही हैं लेकिन अब भी कई ऐसे सवाल हैं जो कि अभी अनुत्तरित हैं और एक बड़ी आबादी ख़तरे में है. टैड्रोस ने कहा, ''कई देश जो यह मान रहे थे कि उन्होंने महामारी के उभार के चरम को पार कर लिया है वहां फिर से उभार देखा गया है. जो देश शुरूआती हफ़्तों में कम प्रभावित थे वहां अब संक्रमण के मामलों और मौत की दर में इजाफ़ा हुआ है.''


इस बीच कोरोनावायरस के सबसे अधिक संक्रमण, और मौतों को झेल रहे देश अमेरिका में संक्रामक रोगों के शीर्ष अधिकारी एंथोनी फाउची ने इस साल के आख़िर तक वैक्सीन मिल जाने की उम्मीद जताई है -

''इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपको एक सुरक्षित वैक्सीन मिल ही जाएगी. लेकिन अब तक जानवरों के डेटा से या इंसानों के डेटा के ज़रिए जो हमने देखा है, उसके लिहाज़ से हम एहतियात बरतते हुए आशान्वित महसूस कर रहे हैं कि हमें इस साल के आखिर तक या 2021 की शुरूआत तक वैक्सीन मिल जाएगी. मुझे यक़ीन है कि यह वास्तविकता है, और हम दिखा देंगे कि यह वास्तविकता है.''

हालांकि वैक्सीन इजाद कर लिया जाना ही क़ाफ़ी चुनौती पूर्ण साबित हो रहा है लेकिन साथ ही यह बहस भी बरक़रार है कि अगर वैक्सीन खोज भी ली जाती है तो उसे दुनिया भर में ज़रूरत मंदों तक पहुंचाना कैसे संभव होगा.

bottom of page