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ताइवान के 'ऑब्ज़र्वर स्टेटस' की पहेली

चीन, ताइवान की संप्रभुता को मानने से इनकार करता रहा है. उसका मानना है कि ताइवान कोई स्वतंत्र राष्ट्र नहीं बल्कि उसका ही प्रदेश है.

- Khidki Desk

विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके सदस्य देशों ने आम सहमति से अपने पहले वर्चुअल वार्षिक सम्मेलन में ताइवान को ऑब्ज़र्वर स्टेटस देने के निर्णय को फ़िलहाल कुछ समय के लिए टाल दिया है. ग़ौरतलब है कि बीते कुछ समय से अमेरिका और अन्य देश संगठन पर ताइवान को ऑब्ज़र्वर स्टेटस प्रदान करने का दबाव डाल रहे थे. उधर ताइवान के विदेश मंत्री ने जोसेफ़ वु ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के सम्मेलन में हिस्सा लेने पर उनका देश जोर नहीं देगा लेकिन वह विदेश में चिकित्सीय आपूर्ति भेजना और चीन के ‘दोहरे चरित्र’ के खिलाफ बोलना जारी रखेगा जिसकी वजह से उसे इस तरह के मंच से अलग रख दिया गया है. ग़ौर करने वाली बात है कि ताइवान लगातार इस सम्मेलन में भाग लेने की कोशिश कर रहा था. उसका मानना था कि क्योंकि एक नॉन-वोटिंग ऑब्जर्वर के तौर पर 2009 से 2016 तक वह विश्व स्वास्थ्य असेम्बली की बैठकों में हिस्सा लेता रहा है इसलिये उसे इस मौके पर अपनी बात रखने का अवसर दिया जाना चाहिए. बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस अधनोम गेब्रेयेसेस पर आरोप लगता रहा है कि चीन से नजदीकियों के चलते ताइवान को 2016 के बाद से ऑब्जर्वर के तौर पर नहीं बुलाया जा रहा. चीन साल 1972 से ताइवान की संप्रभुता को मानने से इनकार करता रहा है. उसका मानना है कि ताइवान कोई स्वतंत्र राष्ट्र नहीं बल्कि उसका ही प्रदेश है.

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