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ठहरने लगी ब्लू नील नदी. गहराने लगा विवाद.

तीनों ही देशों के लिए इथियोपिया की टाना झील से निकलने वाली ब्लू नील नदी का पानी बहुत अ​हमियत रखता है. इसलिए तीनों ही देशों के बीच बांध को लेकर पिछले कई सालों से हो रही बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है.

- Khidki Desk


सालों से अफ़्रीका के तीन देशों के बीच विवाद में गोते लगा रहा ब्लू नील नदी का पानी, अब इथियोपिया के ग्रैंड रेनेसां डैम में भरने लगा है. इथियोपिया के जल मंत्री सेलेशी बेकेले ने एक टीवी चैनल के ज़रिए इस बात की जानकारी दी कि डैम को भरने के लिए ब्लू नील नदी के बहाव को रोक दिया गया है. ब्लू नील, नील नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो कि सुडान और मिस्र के लिए भी उसकी जलापूर्ति के लिए सबसे अहम है.


जल मंत्री सेलेशी बेकेले बताया कि सुडान और मिस्र के साथ लगातार चल रही बातचीत में गतिरोध आ जाने के बाद इथियोपिया ने यह फ़ैसला लिया है. इथियोपिया का यह दावा है कि यह महत्वाकांक्षी बांध उसकी करोड़ों की आबादी को ग़रीबी से बाहर लाने का ज़रिया है. हालांकि अभी इस बांध का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है लेकिन इथियोपिया ने बांध में जल भराव शुरू कर दिया है. बेकेले ने कहा —


''बांध का निर्माण कार्य और उसमें जलभराव साथ साथ होता रहेगा. बांध को भरे जाने के लिए यह ज़रूरी नहीं तब तक इंतज़ार किया जाए जब तक कि बांध पूरा ना हो जाए.''


इथियोपिया इस बांध को लेकर इसलिए बेहद गंभीर है क्योंकि यह बांध अफ़्रीका में उसकी सबसे बड़ा ऊर्जा निर्यातक बनने की महत्वाकांक्षा में सबसे महत्वपूर्ण परियोजना है.


बेकेले ने बताया है कि जब से बांध में पानी रोकना शुरू किया गया है इसका जल स्तर अब 525 मीटर से बढ़ता हुआ 560 मीटर तक जा पहुंचा है.


इधर इथियोपिया के इस क़दम से मिस्र और सूडान काफ़ी तनाव में आ गए हैं. पहले से ही जबरदस्त जल संकट से घिरे मिस्र के ताज़ा पानी के 90 ​फ़ीसद का स्रोत नील नदी ही है. मिस्र ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र से कहा था कि इस हाइड्रोइलैक्ट्रिक बांध के चलते उसके सामने अस्तित्व का संकट आ खड़ा हुआ है. मिस्र को अपनी तक़रीबन 10 करोड़ की आबादी के सामने भयानक जल संकट का डर सता रहा है.


मिस्र के विदेशमंत्रालय ने इथियोपिया से इस मामले को लेकर तुरंत स्पष्टीकरण मांगा है वहीं सुडान की सरकार ने कहा है कि बांध के लिए पानी रोकने के बाद से ब्लू नील के जल स्तर में 9 करोड़ घन मीटर प्रति दिन की कमी दर्ज की गई है.


तीनों ही देशों के लिए इथियोपिया की टाना झील से निकलने वाली ब्लू नील नदी का पानी बहुत अ​हमियत रखता है. इसलिए तीनों ही देशों के बीच बांध को लेकर पिछले कई सालों से हो रही बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है.


जून में मिस्र के विदेश मंत्री समेह सौक्री ने इस विवाद के चलते सैन्य संघर्ष के उभरने की भी चेतावनी दी थी. उनका कहना था कि अगर संयुक्त राष्ट्र मिस्र और सुडान की तक़रीबन 15 करोड़ आबादी को सीधे प्रभावित करने वाले इस मामले में दखल देने में नाकाम होता है तो यह अफ़्रीका में एक नए सैन्य संघर्ष की वजह बनेगा.

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