कुमाऊँ के पहाड़ों का अकेला कार्डिऐक केयर सेंटर बंद
यह सेंटर पहाड़ के ग्रामीण लोंगों के इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि यहां इलाज पूरी तरह मुफ्त था. केवल बेस अस्पताल की पर्ची का शुल्क चुकाकर इस केंद्र में इलाज कराया जा सकता था.
- Special Correspondent

अल्मोड़ा: कुमाऊँ के पहाड़ों में मौजूद एक मात्र कार्डिऐक केयर सेंटर आख़िरकार बंद हो गया. यह सेंटर अल्मोड़ा के बेस अस्पताल में बनाया गया था. इस सेंटर के बंद होने की आशंकाएं आबो हवा में काफ़ी दिनों से तारी थी क्योंकि बीते जनवरी माह से पीपीपी मोड में चलाए जा रहे इस सेंटर के लिए राज्य सरकार ने फंड बंद कर दिया था और इस साल मार्च में इसका कॉंट्रेक्ट भी रिन्यू नहीं हुआ था.
सेंटर के प्रमुख डॉ. लक्ष्मण लाल सुथाल का कहना है कि उन्हें नेश्नल हार्ट इंस्टिट्यूट से निर्देश मिले हैं कि सेंटर को बंद कर दिया जाए. उन्होंने कहा, ''नेश्नल हार्ट इंस्टिट्यूट को जनवरी के बाद से सरकार ने कोई पेंमेंट नहीं किया था. मार्च में रिन्यू होने वाले कॉंट्रेक्ट को भी इस साल रिन्यू नहीं किया गया. अब हमने इंस्टिट्यूट के निर्देशों के मुताबिक़ गुरुवार से इस इंस्टिट्यूट को बंद कर दिया है. हेंडओवर की प्रक्रिया जारी है.''
2016 में राज्य में हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शासनकाल में शुरू हुआ यह हार्ट केयर सेंटर, नेश्नल हार्ट इंस्टिट्यूट और राज्य सरकार के बीच हुए एक अनुबंध के बाद, पीपीपी मोड में चलाया जा रहा था. इस अनुबंध के मुताबिक इस केंद्र के संचालन के लिए राज्य सरकार को नेश्नल हार्ट केयर सेंटर को मासिक तौर पर 11 लाख रूपये देने थे.
पहाड़ की लचर स्वास्थ सुविधाओं के चलते यह केंद्र पूरे कुमाउं के पहाड़ी इलाक़ों के लिए महत्वपूर्ण था. इसके चलते विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू किया है. कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह खुद तो पहाड़ों की स्वास्थ सुविधाओं के लिए कुछ नहीं कर पाई लेकिन कांग्रेस के शासनकाल में हुए जनहित के कामों की फंडिंग रोक रही है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी कहते हैं, ''यह हमारी सरकार का एक महत्वपूर्ण प्रयोग था जो कि सफल भी रहा. 25 हज़ार से अधिक हृदय के मरीज़ों को इस हार्ट सेंटर से सीधे सीधे फायदा हुआ. लेकिन भाजपा सरकार ने इसकी फंडिंग रोक दी. यह एक उदाहरण है कि भाजपा पहाड़ों की दयनीय स्वास्थ सेवाओं के प्रति बिल्कुल भी चिंतित नहीं है.''
उधर सरकार का बचाव करते हुए अल्मोड़ा के विधायक और उत्तराखंड विधानसभा के उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान कहते हैं, ''मेरी कोशिश थी कि पहले कोई एक बेहतर वैकल्पिक सिस्टम बनाया जाता फिर इस केंद्र को बंद किया जाता, लेकिन यह हो नहीं पाया. मैंने स्वास्थ सचिव और मुख्य सचिव से भी इस बारे में बात की लेकिन उनका कहना था कि नेश्नल हार्ट इंस्टिट्यूट अनुबंध के मानकों को पूरा नहीं कर रहा था. ऐसे में कॉंट्रेक्ट आगे नहीं बढ़ाया जा सकता था. जैसे कि वहां एक्सपर्ट कार्डियोलोजिस्ट नहीं अपॉइंट किए गए थे जबकि सामान्य एमबीबीएस डॉक्टर्स थे.''
हालांकि संस्थान के अधिकारी इन आरोपों को ख़ारिज़ करते हैं. डॉ. सुथाल ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, ''एनएचआई अनुबंध के मुताबिक सारे मानकों को पूरा कर रहा था. मैं खुद एक एमबीबीएस डॉक्टर हूं और साथ ही मेरे पास क्लिनिकल कार्डियोलॉजी में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा है. असल में यह लोग अब सिर्फ एक्सक्यूजेज़ दे रहे हैं.''
कार्डिऐक केयर सेंटर से मिले डाटा के अनुसार इस सेंटर में कुल मिलाकर 25018 का इलाज किया गया था और 8403 इंवेस्टिगेशन हुए थे. इन मरीज़ों में से 56 ऐसे मरीज थे जो कि एक्यूट हार्ट अटैक की अवस्था में सेंटर में उपचार के लिए लाए गए थे.
यह सेंटर पहाड़ के ग्रामीण लोंगों के इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि यहां इलाज पूरी तरह मुफ्त था. केवल बेस अस्पताल की पर्ची का शुल्क चुकाकर इस केंद्र में इलाज कराया जा सकता था.
हालांकि, रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा है कि सरकार जल्द ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था करेगी लेकिन विपक्षी दल इस मामले में सरकार को घेरने की योजना बना रहे हैं.