डेमोक्रेट्स पर बरसे ट्रम्प, स्वीकारा राष्ट्रपति पद का नामांकन
RNC के आख़िरी दिन अपने भाषण में ट्रम्प ने अमेरिका के इतिहास की महानताओं का बखान करते हुए डैमोक्रेट्स पर आरोप लगाया कि वे अमेरिकी इतिहास को नस्लभेदी और सामाजिक अन्याय का इतिहास ठहराते हैं.
- Khidki Desk
व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में सजाए गए स्टेज से रिपब्लिकन नैश्नल कन्वेंशन के आख़िरी दिन अपने नामांकन को स्वीकारने के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने भाषण का इस्तेमाल जहां एक ओर अपने कार्यकाल की उपब्धियां गिनाने में किया तो वहीं अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन पर हर संभव हमला करने में.
ट्रम्प ने अमेरिका के इतिहास की महानताओं का बखान करते हुए डैमोक्रेट्स पर आरोप लगाया कि वे अमेरिकी इतिहास को नस्लभेदी और सामाजिक अन्याय का इतिहास ठहराते हैं. उन्होंने कहा-
''डैमोक्रेट्स नैश्नल कन्वेंशन में जो बाइडेन और डैमोक्रेटिक पार्टी ने अमेरिका को एक नस्लीय, आर्थिक और सामाजिक अन्याय वाले देश के तौर पर पेश किया है. तो आज रात में आप सभी से एक आसान सा सवाल पूछना चाहता हूं. डैमोक्रेट पार्टी हमारे देश का नेतृत्व कैसे कर सकती है जबकि वह अधिकतर समय हमारे देश की प्रतिष्ठा को गिराने में लगाती है. वे अमेरिका को एक आज़ाद, न्याय संगत और दुनिया में एक विशिष्ट देश के तौर पर नहीं देखती बाजय इसके वे इसे एक शैतान मुल्क़ के तौर पर देखती है जिसे उसके अभिषापों के लिए दंड दिया जाना चाहिए. हमारे विरोधी कहते हैं कि इन अभिषापों से मुक्ति केवल तभी मिल सकती है जब कि उन्हें सत्ता दे दी जाए. समूचे इतिहास में यह इस तरह के दमनकारी आंदोलनों का पुराना और बेक़ार हो चुका एंथम है. लेकिन इस देश में हम मुक्ति के लिए किसी करियर राजनेता की ओर नहीं देखते. अमेरिका में हम अपनी आत्माओं को पवित्र करने के लिए सरकारों की ओर नहीं देखते.. हम अपना विश्वास सर्वशक्तिमान ईश्वर पर दर्शाते हैं.''
ट्रम्प ने आगामी चुनावों को इतिहास का सबसे ऐतिहासिक चुनाव बताया. उन्होंने कहा कि इससे पहले कभी भी मतदाताओं के पास, दो पार्टियों, दो नज़रियों, दो दर्शनों और दो एजेंडाज़ को लेकर इतने स्पष्ट विकल्प नहीं थे. उन्होंने कहा यह चुनाव निर्धारित करेगा कि क्या हमने अमेरिका के सपने को बया लिया या फिर हमने एक सोशलिस्ट एजेंडा को अपने मक़सद को तबाह करने की इजाज़त दे दी.
ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने अमेरिका के असफल पॉलिटिकल क्लास को सत्ता से बेदखल कर दिया और 'अमेरिका फर्स्ट' की अपनी नीति का आग़ाज़ किया. उन्होंने कहा —
''मैंने अपना वादा निभाया. हमने साथ मिलकर अमेरिका के असफल पॉलिटिकल क्लास के शासन को समाप्त कर दिया और अब वे किसी भी तरह अपनी ताक़त को वापस पाने के लिए बेचैन हैं. वे लोग मुझसे ग़ुस्सा है क्योंकि मैंने उन्हें आगे रखने के बजाय बस इतना किया कि मैंने अमेरिका को आगे रखा.. मैंने कहा अमेरिका फर्स्ट..''
ट्रम्प ने अपने भाषण में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कूटनीतिक पहल और सफलताओं की पीठ भी थपथपाई. उन्होंने कहा-
''जब मैंने अपना कार्यकाल सम्हाला, मध्य पूर्व में बुरी तरह अफ़रा तफ़री थी. इस्लामिक स्टेट उन्माद फ़ैला रहा था. ईरान उभार पर था. अफ़ग़ानिस्तान आंतरिक तौर पर कभी ना ख़त्म होने वाले संघर्ष से जूझ रहा था. मैंने ईरान की एक तरफ़ा न्यूक्लिर डील से हाथ वापस खींचे. मुझसे पहले के किसी भी राष्ट्रपति के बजाय मैंने अपना वादा निभाते हुए इसराएल की सच्ची राजधानी के तौर पर येरूशलम को मान्यता दी और वहां अपने दूतावास को स्थापित किया. भविष्य के भरोसे छोड़े बग़ैर हमने इसे तुरंत बनाया. और इस महीने हम पिछले 25 सालों बाद मध्यपूर्व शांति समझौता कराने में क़ामयाब हुए हैं. इसके लिए यूएई और इसराएल का शुक्रिया... इसके अलावा हम इस्लामिक स्टेट का नामोनिशां मिटाने में शतप्रतिशत् क़ामयाब हुए हैं और हमने उसके संस्थापक और प्रमुख नेता अबू बक़ार अल बग़दादी को मार डाला है. साथ ही हमने अब तक के दुनिया के नम्बर वन आतंकवादी क़ासिम सुलेमानी को भी एक अलग अभियान में मार डाला.''
अपने भाषण में जो बाइडेन के उप राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उठाए गए क़दमों की जबरदस्त आलोचना करते हुए ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने चीन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शह दी. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि चीन अब जो बाइडेन के ज़रिए अमेरिकी राजनीति पर क़ाबिज़ होना चाहता है.
ट्रम्प ने अमेरिका में कोरोनावायरस की तबाही के लिए फिर एक बार चीन पर हमला बोला. उन्होंने कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहते हुए आरोप लगाया कि चीन ने जानबूझकर कोरोनावायरस का प्रकोप दुनिया भर में फैलने दिया..
ट्रम्प के इस भाषण के बीच उनके समर्थक बार बार कुर्सियों से उठकर ट्रम्प के समर्थन में नारे लगाते और ताली बजाते नज़र आए.
रिपब्लिकन नैश्नल कन्वेंशन में ट्रम्प का यह भाषण उस वक़्त हुआ जब अमेरिका दो-दो तूफ़ानों से जूझ रहा है. जहां एक ओर अमेरिकी राज्य लुसियाना में लौरा तूफ़ान ने मार की है वहीं विस्कंसिन के केनोशा में एक काले नागरिक पर पुलिस की ओर से बेवजह दाग़ी गई गोलियों ने मानवाधिकार समर्थकों के जेहन में तूफ़ान ला खड़ा किया है. कई शहरों में अपना विरोध जताने प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हैं और कई जगह हिंसा भी हुई है. 17 साल के एक गोरे किशोर को पुलिस ने दो लोगों की गोली मारकर हत्या करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है. इस हमले में एक और प्रदर्शनकारी घायल हुआ था.