'भारतीय अर्थव्यवस्था पर अभूतपूर्व संकट'
नीति आयोग के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा, ''यह भारत सरकार के लिए अप्रत्याशित मामला है. पिछले 70 सालों में हमने इस तरह से वित्तीय प्रवाह का संकट नहीं झेला है. पूरा का पूरा वित्तीय क्षेत्र मंथन कर रहा है और कोई भी किसी दूसरे पर विश्वास नहीं कर रहा."
-खिड़की डेस्क

भारत में गहराती आर्थिक मंदी के संकेतों के बाद अब नीति आयोग के चेयरमैन राजीव कुमार ने भी इस मंदी के इस गंभीर संकट की ओर इशारा किया है. उन्होंने कहा है कि हमने ''पिछले 70 सालों में इस तरह के वित्तीय प्रवाह के संकट को नहीं झेला है.''
हीरो माइंडमाइन समिट के दौरान बोलते हुए राजीव कुमार ने कहा, ''यह भारत सरकार के लिए अप्रत्याशित मामला है. पिछले 70 सालों में हमने इस तरह से वित्तीय प्रवाह का संकट नहीं झेला है. पूरा का पूरा वित्तीय क्षेत्र मंथन कर रहा है और कोई भी किसी दूसरे पर विश्वास नहीं कर रहा. आपको ऐसे कदम उठाने होंगे जो कि सामान्य नहीं हैं. मुझे लगता है कि सरकार को निजी क्षेत्र की आशंकाओं को दूर करने के लिए कुछ ना कुछ ठोस करना ही होगा.''
राजीव कुमार ने बताया है कि भारतीय बाज़ार में सरकार और निजी क्षेत्र के बीच विश्वास में भारी कमी आई है, ''लोग नकदी के उपर बैठ गए हैं और वे वहां से नहीं हटेंगे.'' हालांकि उन्होंने इसका दोष 2004 से 2011 के बीच हुए हाई क्रेडिट ग्रोथ पर मढ़ा है.
इससे पहले आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि जून 2019 के बाद की आर्थिक गतिविधियों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी बढ़ रही है.
7 अगस्त को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान उन्होंने यह बात कही थी जिसके मिनट्स बुधवार को जारी किए गए.
उन्होने कहा था कि घरेलू मांग में कमी आई है औद्योगिक गतिविधियां घटती गई हैं और इसका असर साफ़ दिखने लगा है.