बैठक में भिड़े अमेरिका और चीन
बैठक में अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन और नैश्नल सिक्योरिटी एडवाइज़र जेक सुलिवान ने हिस्सा लिया जबकि चीनी पक्ष की ओर से विदेशी मामलों के सबसे वरिष्ठ राजनयिक यांग जियेची और विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए.
- Khidki Desk
बीते एक साल से आपसी रिश्तों में लगातार बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों की अटलांटा में हुई बैठक में भी यह तनाव साफ़ तौर पर ज़ाहिर हुआ और तीखी नोक झोंक देखने को मिली.
इस बैठक में अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन और नैश्नल सिक्योरिटी एडवाइज़र जेक सुलिवान ने हिस्सा लिया जबकि चीनी पक्ष की ओर से विदेशी मामलों के सबसे वरिष्ठ राजनयिक यांग जियेची और विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए.
एंकोरेज़ में दुनिया भर के मीडिया कैमरों के सामने हुई हुई इस बैठक में, सीधी तक़रार में दोनों पक्षों ने एक दूसरे जमकर हमला बोला. बहस को खोलने वाले अपने पहले हमलावर बयान में ब्लिंकन ने कहा,
''आज हमें घरेलू और वैश्विक स्तर के मुख्य मसलों पर चर्चा का मौका मिला है, तो चीन बेहतर समझ सकता है कि अमेरिका का क्या इरादा है और क्या रवैया है. हम इस बैठक में चीन के क़दमों को लेकर अपनी गहरी चिंताओं पर बातचीत करेंगे, जिसमें ज़िनजियांग, हॉंग कॉंग, ताइवान, अमेरिका पर हुए साइबर हमले, और हमारे सहयोगियों के खिलाफ़ आर्थिक दबाव बनाने के मसले शामिल हैं.''
ब्लिंकन ने आगे कहा, ''चीन के इन सारे ही क़दमों ने, ऐसी क़ानून आधारित व्यवस्था पर ख़तरा पैदा किया है जिनके ज़रिए वैश्विक स्थिरता क़ायम रहती है.''
दूसरी तरफ़ चीन का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ राजनयिक यांग जियेची ने तल्ख़ी के साथ अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह अपनी ताक़त का इस्तेमाल दूसरे देशों को दबाने के लिए करता है. उन्होंने कहा,
''अमेरिका देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर चीन के साथ उन्हें सामान्य व्यापारिक लेन देन नहीं करने देता और कुछ देशों को चीन के ख़िलाफ़ हमलावर होने के लिए भड़काता है.''
जियेची ने चीन में मानवाधिकारों पर उठाए गए अमेरिका के सवालों का जवाब देते हुए कहा,
''अमेरिका में मानवाधिकारों के हालात बेहद निम्न स्तर पर हैं और काले अमेरिकियों को ख़ुलेआम क़त्ल किया जा रहा है.''
उन्होंने कहा,
''मुझे यह कहने दीजिए, कि अमेरिका के पास चीनी अधिकारियों के सामने इस तरह के कड़े आरोप लगाने का कोई हक़ नहीं है. अमेरिका पक्ष यहां तक कि आज से 20 साल या 30 साल पहले भी इस तरह की बातें कहने के क़ाबिल नहीं था, क्योंकि चीन के लोगों से बरताव करने का यह तरीक़ा नहीं है. और अगर अमेरिका चीनी पक्ष से सही ढंग से बात करना चाहता है तो उसे ज़रूरी प्रोटोकॉल्स को अपनाना होगा और चीज़ों को सही तरीक़े से करना होगा. सहयोग दोनों पक्षों को मदद पहुंचाएगा. और पूरी दुनिया की यही अपेक्षा है. अमेरिकी जनता निश्चित तौर पर महान हैं लेकिन चीन की जनता भी.''
इसके जवाब में अमेरिकी नैश्नल सिक्योरिटी एडवाइज़र जेक सुलिवान ने कहा कि अमेरिका कोई फ़साद नहीं चाहता लेकिन, अमेरिका हमेशा अपने लोगों और अपने दोस्तों के लिए अपने सिद्धांतों के साथ खड़ा रहेगा.''
हालांकि दोनों पक्षों ने आगे भी बातचीत बरक़रार रखने पर सहमति जताई है.